उमराह के लिए थांदला से रवाना हुए जायरीन, गुलपोशी कर धर्मावलंबियों ने पवित्र मक्का मदीना के लिए किया विदा
रितेश गुप्ता, थांदला
‘तेरी रहमत ने बुलाया मैं चला आया हूं, ‘छोड़ फ्रिक दुनिया की चल मदीने चलते, मुस्तुफा गुलामों की किस्मते बदलते हैं, जिस दर पर गुलामों के हालात बदले हैं, रहमतों की चादर पे, सर पर साये चलते है, मुस्तुफा के दीवाने घर से जब निकलते हैं’ की दिलकश नातों के साथ पवित्र मक्का व मदीना की जियारत के लिए मुस्लिम धर्मावलंबी रवाना हुए।
‘तेरी रहमत ने बुलाया मैं चला आया हूं, ‘छोड़ फ्रिक दुनिया की चल मदीने चलते, मुस्तुफा गुलामों की किस्मते बदलते हैं, जिस दर पर गुलामों के हालात बदले हैं, रहमतों की चादर पे, सर पर साये चलते है, मुस्तुफा के दीवाने घर से जब निकलते हैं’ की दिलकश नातों के साथ पवित्र मक्का व मदीना की जियारत के लिए मुस्लिम धर्मावलंबी रवाना हुए।
