टंट्या मामा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर युवाओं ने टंट्या मामा के पथ पर चलने का लिया संकल्प

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दीपेश प्रजापत @ झाबुआ

आदिवासियों के महान क्रांतिकारी टंट्या भील की प्रतिमा पर ,73 गणतंत्र दिवस के मौके पर समस्त आदिवासी समाज के द्वारा टंट्या मामा की प्रतिमा पर स्थित चौराहे का नाम टंट्या भील चौराहा करने की बात कही| इस अवसर पर उपस्थित सभी आदिवासी समाज द्वारा अपने विचार रखें आदि आदिवासी लेखिका के रूप में मंगला मेड़ा द्वारा इस दिन को ऐतिहासिक दिन बताया और आदिवासी समाज को इनके बताएं पथ पर चलने का संदेश दिया गया| कमेश बिलवाल द्वारा आदिवासी समाज के बने हुए इतिहास को अब धरातल पर लाने का समय आ गया है तथा प्रकृति से जुड़े होने के कारण प्रकृति की वस्तुओं का उपयोग कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश साथ ही हमारे आदिवासी समाज के द्वारा कई प्रकार पेडों के पत्तों द्वारा माला का निर्माण कर टंट्या भील जी को माल्याअर्पण किया गया| साथ ही आदिवासी समुदाय प्रकति से जुड़े होने से वह किस तरह पर्यावरण को भी संरक्षित कर रखे है| आज भी कई गांवों में पलाश की पत्तल का उपयोग किया जा रहा है जिससे कि हमारा पर्यावरण सुरक्षित रह सके , अल्केश मेड़ा द्वारा बताया गया और पूरे जिले एवं देशवासियों को बधाई देते हुवे बताया कि देश की आजादी की 75 वर्ष जोकि अमृत महोत्सव के रूप में पूरे देश में मनाया जा रहा है | इस कड़ी में हमारे जनजातीय समाज के वीर क्रांतिकारी महापुरुष को याद किया गया इन्ही की स्मृति में टंट्या मामा चौराहा का नामकरण किया गया तथा आभार आभार किया गया| इस कार्यक्रम में उपस्थित राम सिंह डामोर, बदी मकोदिया, लाल सिंह कनेश ,पिंटू मावी , लुंजेस तोमर आदि उपस्थित थे|

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