भारतीय संस्कृति में विद्यार्थियों के हृदय में गुरू के प्रति सम्मान है जो उनकी आस्था और श्रद्धा से प्रकट होता है

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थांदला। भारतीय संस्कृति में विद्यार्थियों के हृदय में गुरू के प्रति सम्मान है जो उनकी आस्था और श्रद्धा से प्रकट होता है। केवल संस्था में पढाने वाले ही गुरू नही होते है, जीवन में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से हम अनेक व्यक्तियों, प्राणियों के कुछ न कुछ अवश्य सीखते है वे सभी हमारे गुरू है। 

प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में तीन गुरूओं का महत्व होता है। पहला- बृहदारण्यकोपनिषद के श्लोक – ‘‘असतों मा सद्गमय’’, ‘‘तमसों मा ज्योतिर्गमय’’, ‘‘मृत्योर्मामृत गमय’’ से तीन गुरूओं का महत्व स्पष्ट होता है। असतो मा सद्गमय अर्थात असत्य से सत्य की ओर ले जाने वाली प्रथम गुरू माता, तमसो मा ज्योतिर्गमय अर्थात अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाने वाले शिक्षक, मृत्योर्मामृत गमय अर्थात मृत्यु से अमरता की ओर ले जाने वाले आध्यात्मिक गुरू हमेशा व्यक्ति को अनुशासन, संयम, सहयोग और परिश्रम के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते है। उक्त विचार महाविद्यालय में शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह में पूर्व प्राचार्य डॉ. जया पाठक ने व्यक्त किए। समारोह के प्रारंभ में टीना डामोर एवं सहपाठी द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुई अतिथि स्वागत के पश्चात् जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष ने महाविद्यालय स्टॉफ के प्राध्यापक का मोतियों की माला से सम्मान करते हुए पेन भेंट किए। दिनेश मोरिया ने तिरंगा गमछे पहनाकर गुरूओं का सम्मान किया। महाविद्यालय परिवार की ओर से श्री अमित शाहजी व प्राचार्य डॉ.जी.सी. मेहता ने पूर्व प्राचार्य डॉ. जया पाठक को शॉल श्रीफल भेट कर सम्मानित किया। छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष प्रताप कटारा एवं छात्र प्रफुल धमानिया ने शिक्षक दिवस का महत्व बताते हुए विद्यार्थियों को मार्गदर्शन दिया। उक्त शिक्षक दिवस के कार्यक्रम में प्रो. मनोहर सोलंकी, डॉ. छगन वसुनिया, प्रो. विजय मावी, प्रो. हिमांशु मालवीया, प्रो. रितुसिंह राठौर, प्रो. छतरसिह चौहान, प्रा. केसरसिह डोडवे, डॉ. मंजुला मण्डलोई, डॉ. दीपिका जोशी, डॉ. राकेश चौरे, डॉ. राजेन्द्र सिह चौहान, डॉ. जी.डी. भालसे, डॉ. सुनिताराज सोलंकी, प्रो. कंचना बारस्कर, नेहा वर्मा, के.एस. चौहान, विजय मावडा, अजय मोरी, रमेश डामोर, विक्रम डामोर बडी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे, कार्यक्रम का संचालन डॉ. मीना मावी एवं छात्र अजय भाबोर ने संयुक्त रूप से किया तथा आभार प्रो. एस.एस. मुवेल ने माना।

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