युवा साहित्यकार डॉ. किंशुक कांकरिया की पुस्तक का राष्ट्रीय पुस्तक मेले में हुआ विमोचन

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झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट-
जिले के युवा साहित्यकार व डॉ. किंशुक कांकरिया शिव का साझा संकलन ‘सात समंद की मसि करउ’ का विमोचन नई दिल्ली में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में वरिष्ठ साहित्यकार ध्रुव गुप्त और रामजी तिवारी द्वारा संपन्न हुा। विश्व पुस्तक मेला नईदिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहा है। विमोचन कार्यक्रम से लौटकर डॉ. किंशुक ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि पुस्तक मेले में 7 युवा साहित्यकारों के साथ उनकी चयनित कविताओं का प्रकाशन किया गया है। पुस्तक का प्रकाशन ‘बोधि’ प्रकाशन द्वारा किया गया है। झाबुआ जिले के इतिहास में यह पहला अवसर है जब जिले के किसी युवा साहित्यकार की पहली ही पुस्तक का विमोचन विश्व पुस्तक मेले में हुआ है। अपने रचना कर्म के बारे में जानकारी देते हुए किंशुक कांकरिया ने बताया कि ग्रामीण अंचल में मानवीय संवेदनाएं पग-पग पर अपना परिचय प्रकृति के साथ मिलकर देती है। जीवन के प्रति संघर्ष करते हुए भी यहां के लोग जीवन मुल्यों के प्रति प्राय: समझौता नहीं करते है और अपने संघर्ष को ईश्वर प्रदत्त मानकार उसी के साथ जीवन यापन भी करते है। इस अद्भूत समंजस्य ने मुझे लिखने के लिए प्रेरित किया। हालांकि मेरा लक्ष्य इन रचनाओं को लेकर पुस्तक लिखने का नहीं था लेकिन सोशल मीडिया पर जब यह रचनाएं आई तब युवा साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने का कार्य कर रहे। प्रशांत बिपलवी ने इन रचनाओं को लेकर पुस्तक प्रकाशन की योजना बनाई, जिसका संपादन अरूणश्री द्वारा किया गया। डॉ. कांकरिया ने अपने स्कूली जीवन में मात्र 10 वर्ष की उम्र में ही नाटक की रचना की थी जिसका मंचन भी स्कूल के स्नेह सम्मेलन में किया गया था। डॉ. कांकरिया की इस उपलब्धि पर जिले के साहित्यकारों और पत्रकारों ने बधाई दी है.

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