भीमकुंड की उचित मूल्य की दुकान पर बीते एक वर्ष से नहीं मिली शकर, अजा प्रदेशाध्यक्ष भाबर के हस्तक्षेप के बाद गोदाम में रखे शकर के कट्टे बाहर निकाले

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रितेश गुप्ता, थांदला
कोरना कि इस बार भयावह महामारी के बीच में थांदला तहसील का एक गांव ऐसा भी है जहां 1 वर्ष से ग्रामीणों का शक्कर का एक दाना भी नसीब नहीं हुआ। नगर से 12 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत भीमकुंड की शासकीय उचित मूल्य की दुकान में चल रही गड़बडिय़ों की लगातार ग्रामीणों द्वारा सरपंच सचिव व अन्य जनप्रतिनिधियों को शिकायत की जा रही थी। परंतु उनकी सुनवाई को अनसुना कर देने पर ग्रामीणों ने अनुसूचित जनजाति के प्रदेश अध्यक्ष कल सिंह भाबर को अपनी समस्या से अवगत करवाया। ग्रामीण रतन बामणिया, गोपाल राठौड़, मकना अमलियार, मुकेश अमलियार, कालू कटारा, हवसिंग सिंगाड, राजू सिंगार उदय सिंह कटारा, तान सिंह कटारा, प्रकाश बामणिया, झीतरा नलवाया, दिलीप कटारा, थावरा कटारा, रमेश कटारा सहित बड़ी संख्या में उचित मूल्य की दुकान पर उपस्थित ग्रामीणों ने शिकायत की कि सेल्समैन द्वारा उन्हें बीते 1 वर्ष से शक्कर नहीं वितरित की गई। सामाजिक कार्यकर्ता यशवंत बामणिया ने बताया कि साथ ही मई माह में वे जून माह की रसीद ग्रामीणों को देकर अनाज वितरित कर रहे हैं। जबकि मई माह का अनाज उन्हें अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। और ना ही सेल्समैन द्वारा उन्हें अनाज वितरण की पर्ची दी जा रही है। मौके पर पहुंचे अनुसूचित जनजाति के प्रदेश अध्यक्ष कल सिंह भाबर ने सेल्समैन उदय सिंह से बात की तब सेल्समैन द्वारा गोदाम में रखे शकर के कट्टे को बाहर लाया गया, व बताया कि मई माह का रजिस्टर किसी अन्य सेल्समैन के पास है वह उनके पास अभी जून माह की ही रसीदें उपलब्ध है। इसलिए वे जून माह की रसीद काट कर दे रहे हैं। आदिवासी नेता एवं पूर्व विधायक कल सिंह भाबर ने उपस्थित ग्रामीणों से कहा कि वे उन्हें मई व जून दोनों माह का अनाज उपलब्ध करवाएंगे साथ ही शकर भी। सभी को उपलब्ध होगी, उनके द्वारा सेल्समैन की शिकायत भी विपणन सहकारी संस्था के अधिकारियों को की गई। कल सिंह बाबर ने उपस्थित समस्त जनों को मास्क लगाने व एक दूसरे से उचित दूरी बनाकर कोरोना महामारी से लडऩे हेतु भी आग्रह किया।

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