जैन आवासीय शिक्षण संस्कार शिविर में 261 बालक-बालिकाओं ने लिया भाग, बालक वर्ग में एवन्तनाग सेठिया व बालिका वर्ग में प्रज्ञप्ति मेहता रही सर्वश्रेष्ठ शिविरार्थी 

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रितेश गुप्ता, थांदला
आचार्य श्री उमेशमुनिजी म.सा. के सुशिष्य प्रवर्तक जिनेन्द्रमुनिजी के आज्ञानुवर्ती अणुवत्स संयतमुनिजी, आदित्यमुनिजी, सुयशमुनिजी ठाणा-3 एवं साध्वी धैर्यप्रभाजी, मुक्तिप्रभाजी, निखिलशीलाजी, दिव्यशीलाजी, प्रियशीलाजी आदि ठाणा-8 के पावन सानिध्य में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में अखिल भारतीय श्री धर्मदास स्थानकवासी जैन युवा संगठन द्वारा पांच दिवसीय ग्रीष्मकालीन जैन आवासीय शिक्षण एवं संस्कार शिविर 22से 26 मई तक धर्मनगरी थांदला में आयोजित किया गया। इस शिविर में मालवा, निमाड़, डूंगर, राजस्थान, गुजरात आदि कई प्रांतों के 261 बालक-बालिकाओं ने ऐसी भीषण गर्मी में भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। अणुवत्स संयतमुनिजी, साध्वी मुक्तिप्रभा, निखिलशीलाजी और प्रषमप्रभाजी आदि ने शिविरार्थियों की क्लास ली और उन्हें विविध ज्ञानार्जन करवाया एवं बच्चों में संस्कार कैसे रहे इस पर विविध रोचक जानकारियां प्रदान की। शिविर के संयोजक वीरेन्द्र मेहता, श्रैयांस चौरडिय़ा, हितेश शाहजी, अनंत मांडोत व सुहास गांधी ने प्रतिदिन शिविरार्थियों को प्रात: प्रार्थना करवाई। प्रतिदिन बच्चों की चार क्लास ली गई। युवा संगठन द्वारा प्रतिदिन प्रभावना वितरित की गई। साधु-साध्वी की प्रेरणा से प्रतिदिन शिविरार्थियों ने विभिन्न त्याग-प्रत्याख्यान ग्रहण किए। वही 70 शिविरार्थियों ने प्रतिदिन संवर की आराधना की और राई व देवसी प्रतिक्रमण भी किया। प्रतिदिन प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। विजेताओं केा पुरस्कृत भी किया गया। 125 से अधिक बच्चों ने प्रतिदिन थाली धोकर पी जिन्हे ललित जैन नवयुवक मण्डल द्वारा प्रभावना देकर सम्मानित किया गया। शिविर को सकुशल ंपन्न करवाने में संयोजक मंडल की महत्वपूर्ण भूमिका रही। साधना राजेन्द्र रुनवाल, अनुपमा मंगलेश श्रीश्रीमाल, भावना कपिल शाहजी, शिखा सौरभ लोढ़ा और प्रिया महेश व्होरा का शिविर में विशेष सहयोग रहा। शिविर के अन्तिम दिन समस्त शिविरार्थियों की विशाल प्रभातफेरी स्थानीय पौषध भवन से निकाली गई जो नगर के प्रमुख मार्गो से होती हुई पुन: पौषध भवन पर पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हो गई। अणुवत्स संयतमुनिजी, आदित्यमुनिजी, साध्वी मुक्तिप्रभा, निखिलशीलाजी ने शिक्षण एवं संस्कार के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। श्रीसंघ के अध्यक्ष जितेन्द्र घोड़ावत ने समस्त शिविरार्थियों, शिविर संचालकों, युवा संगठन व आतिथ्य सत्कार लाभार्थी परिवारों को बधाई दी। श्री धर्मदासगण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष शांतिलाल भंडारी, अखिल भारतीय धर्मदास स्थानकवासी जैन युवा संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण विन्यायक्या, कार्याध्यक्ष मनीष कांठेड़, ललित जैन नवयुवक मंडल के पूर्व अध्यक्ष नितेश शाहजी आदि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए शिविर की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। संचालन श्रीसंघ के सचिव प्रदीप गादिया ने किया।
यह बालक रहे प्रथम-
शिविरार्थियों को प्रदत्त ज्ञान की परीक्षा शिविर के अन्तिम दिन ली गई। बालक और बालिका वर्ग में सर्वश्रेष्ठ शिविरार्थी का चयन भी किया गया, जिसमें बालक वर्ग में एवन्त नाग सेठिया लीमखेड़ा (गुजरात) और बालिका वर्ग में प्रज्ञप्ति मेहता संजेली (गुजरात) सर्वश्रेष्ठ शिविरार्थी रहें। जिन्हे प्रेमलता जिनेन्द्र अलकेश प्रांजल लोढ़ा परिवार द्वारा सोने की अंगूठी एवं युवा संगठन द्वारा शिल्ड प्रदान कर सम्मानित किया गया। शिविरार्थियों की लिखित परीक्षा में बालक वर्ग सीनियर में प्रथम ऋषि मूणत रतलाम, द्वितीय अरिष्ठ बांठिया दाहोद, एवं तृतीय उत्सव नागसेठिया लीमखेड़ा रहे। वही बालिका वर्ग में प्रथम महक गांधी रावटी, द्वितीय ख्याति रुनवाल थांदला और तृतीय स्थान पर श्रुति मूणत रतलाम रही। बालक वर्ग जूनियर में प्रथम अनंत पावेचा, द्वितीय मनक्ष जैन एवं तृतीय एवन्त शाहजी तथा बालिका वर्ग जूनियर में प्रथम हीरम कटारिया, द्वितीय नव्या शाहजी व सिया सेठिया तृतीय स्थान पर रही। समस्त शिविरार्थियों को प्रभावना एवं पुरस्कार अभा श्री धर्मदास स्थानकवासी जैन युवा संगठन और थांदला श्रीसंघ द्वारा दिए गए। पुरस्कार वितरण समारोह में कई शिविरार्थियों ने अपने विचार व्यक्त किए। संचालन वीरेन्द्र मेहता ने किया। इस अवसर पर इंदौर, रतलाम, कुशलगढ़, मेघनगर, झाबुआ, रावटी, बामनिया आदि कई स्थानों के श्रद्धालुजन के अलावा थांदला श्रीसंघ और युवा संगठन के पदाधिकरी व सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे। इस 5 दिवसीय आवासीय धार्मिक शिक्षण एवं संस्कार शिविर में आतिथ्य सत्कार के लाभार्थी सुंदरलालजी भरती भंसाली परिवार, स्व. कमलाकांत घोड़ावत परिवार, रमेशचन्द्र चतुरभुज व्होरा परिवार,रमेशचन्द्रजी सवाईसिंगजी शाहजी परिवार, सुंदरलालजी भरत भंसाली परिवार प्रमुख रूप से रहे।
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