गांव, बस्ती या घर परिवार संत का आगमन तभी होता है जब वहां पर सत्य होता है सत्य ही सनातन है और सनातन में श्रद्धा है : संत रघुवीरदास
रितेश गुप्ता, थांदला
सज्जनों की संगती से ही धर्म मिलता है संत आगमन होता संत संगती भगवान की शरण दिलाती है किसी नगर, गांव, बस्ती या घर परिवार संत का आगमन तभी होता है जब वहां पर सत्य होता है सत्य ही सनातन है और सनातन में श्रद्धा है। इसलिए ही सत्य सनातन धर्म की जय हो यह हम कहते चले आ रहे है सनातन जिसका न आदी है और न अंत है। सत्य और सनातन धर्म पर श्रद्धा और विश्वास रखने से जीवन रूपी सत्य को सदगती दिला सकते है। उक्त उदगार सुप्रसिद्ध भागवत मर्मज्ञ गौभक्त संत रघुवीरदास महाराज ने हनुमान मन्दिर बावडी प्रांगण में चल रही भगवत कथा के द्वितीय दिवस पर व्यासपीठ से कहे। उन्होंने सनातन धर्म की विस्तृत व्याख्या करते हुए भगवत कथा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवत कथा का श्रवण श्रोता के पूर्व जन्म के संदसंगती संत दर्शन का फल है यह भगवत कथा का श्रवण इस कलीकाल में हमारे पूर्व जन्मों के सेवा कार्य के परिणाम स्वरूप हमें मिल रहा है तथा यजमान परिवार के आयोजन की अभिलाषा को पूर्व जन्म की अधूरी अभिलाषा को पूरा होना बताया।
संत श्री से आष्टांग बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन यापन के लिये यह सूत्र में प्राचीन वैदों से मिला है। इस अवसर पर मंच पर साध्वी श्रेद्धेय परमेश्वरी देवी मांगरोद धनेश्वर आश्रम गुजरात, संत बंशीदास महाराज सौराष्ट्र, गुजरात, संत हरिराम महाराज धनेश्वर आश्रम से उपस्थित थे। संतो का स्वागत चिंतामणी महाराज, यजमान परिवार के समरथ गुरू महाराज, महेश प्रजापत, वरदीचंद प्रजापत कुशलगढ, सोमाजी प्रजापत करवड, सेवा भारती थांदला संकूल प्रमुख बदसिंग कतिजा द्वारा किया गया। इस अवसर पर पं. किशोर आचार्य, पंडित कैलाश आचार्य, महेश गढवाल, अशोक शर्मा, पंकज चौहान, गोविन्द अमलियार समेत बडी संख्या में श्रोतागण उपस्थित थे ।
परस्पर एक दूसरे मिले धर्म चर्चा करें
सामाजिक समरसता ही धर्म का आधार है : संत रघुवीरदास जी
स्थनीय हनुमान मन्दिर प्रांगण में चल रही भागवत कथा के निमित आये संत रघुवीरदास देर सायं समीपस्थ ग्राम महुडा पहुंचे तथा ग्रामवासियों से धर्म चर्चा की। इस अवसर पर बडी संख्या में ग्रामवासीगण उपस्थित थे । संत श्री ने सनातन हिन्दू धर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि परस्पर एक दूसरे से मिलने पर धर्म चर्चा से ही धर्म बढता है धर्म ही हमारे सदभाव विश्वास श्रृद्धा का आधार है सामाजिक मेल मिलाप परस्पर व्यवहार धर्म को बढाता है हम निरन्तर अपने पूर्वज घर के बुजुर्ग से मिले पूरानी बाते सूने धर्म क्या है उन्होने केसे धर्म को जीया पूछे हमें हमारी रितीया मालूम पड़ जाएगी। हमें अपने धर्म का प्रचार करने के लिये कोई ढोल पिटने की आवश्यकता नहीं है, जो खरा है उसकी पहचान अपने आप होती है सनातन हिन्दू धर्म सत्य है जहां परिवार संस्कार मर्यादा है जीवन जीने का उददेश्य है जिस तरह किसान अपनी खेती से अलग नही हो सकता क्योंकी खेती करना भी उसका धर्म है उसी प्रकार कोई भी व्यक्ति जो अपने धर्म को थोडा बहुत भी जनता है जिसने अपने परिवार के बडों से पूछा है वह कभी धर्म से अलग नही हो सकता। सनातन इसलिये तो हम कहते है जो हमने अपने पूर्वजों से सीखा उसका निर्वाहन हम करते चले आ रहे है हमारी आने वाली पीढी को अगर हम बताएंगे, तो वह करते चले जाएंगे। धर्म धारण की यह परम्परा ही सनातन है इसी लिये हम सब सनातन है। इस अवसर पर कमलेश थंदार, राकेश थंदार,बल्लू खपेड, करण भुरा, अमरसिंग चौहान, कमलेश वैरागी, धवल अरोरा, सेवाभारती के संकुल प्रमुख बदसिंग कतिजा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला सह कार्यवाह भूषण भट्ट व अन्य ग्रामवासी उपस्थित थे।