संत से संत का मिलन अविस्मरणीय होता है-प्रवर्तकश्री

May

अर्पित चोपड़ा, खवासा

संतों का मिलन हमेशा सुखद व आनंददायी होता हैं।जब संत से संत का मिलन होता हैं तो वह खुशी अविस्मरणीय होती है।संतों के मिलन से अनुयायियों को भी प्रेरणा लेना चाहिए।जब अनुयायी आपस में मिलते हैं तो उनमें वात्सल्य उत्पन्न होता है और यही वात्सल्य धर्म में अभिवृद्धि का कारण बन जाता है।

उक्त बात धर्मदास गण नायक, बुद्धपुत्र, प्रवर्तक श्री जिनेन्द्रमुनिजी म.सा. ने खवासा स्थानक में आज मंगल प्रवेश के बाद आयोजित धर्मसभा में कही। धर्मसभा में त्रिस्तुतिक संघ के आचार्य श्री नित्यसेनसुरीश्वरजी के आज्ञानुवर्ती श्री चारित्र रत्न विजय जी म.सा. श्री निपुण रत्न विजय जी म.सा भी उपस्थित थे।

आज दोनों ही सम्प्रदाय के वरिष्ठ संतों का बामनिया से खवासा मंगल प्रवेश हुआ।साथ-साथ मंगल प्रवेश का अदभुत, दुर्लभ नजारा देख हर कोई अभिभूत था।संतों के मंगल प्रवेश के कुछ ही समय पूर्व ही दोनों सम्प्रदाय की महासती वृंद श्री सुव्रता जी आदि ठाणा चार (स्थानकवासी सम्प्रदाय से) और साध्वी श्री विद्वत रत्ना जी ठाणा दो का मंगल प्रवेश हुआ। सभी के व्याख्यान स्थानक में एकसाथ हुए।

उपस्थित श्रद्धालु उस समय अभिभूत हो गए जब त्रिस्तुतिक संघ के चारित्र रत्न विजय जी म.सा.ससंघ प्रवर्तक देव को पहले स्थानक भवन में मंगल प्रवेश कराकर ही पुनः मंदिर स्थित पौषधशाला लौटे। श्री चारित्र रत्न विजय जी म.सा.की सौजन्यता व विनम्रता सभी को छू गई।