अहमदाबाद के प्रसिद्ध बायपास सर्जन परिवार के साथ अपने पैतृक गांव आए

May

अर्पित चौपड़ा, खवासा

देश के जाने माने ह्रदय सर्जरी विशेषज्ञ, अहमदाबाद निवासी डॉ अनिल जैन (वागरेचा) शुक्रवार को अपने पैतृक गांव खवासा आए। 55 वर्षीय डॉ अनिल जैन हृदय बायपास सर्जरी के निष्णात कुशल विशेषज्ञ है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित इस सर्जन का अहमदाबाद से पहले मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के छोटे से गांव खवासा से गहरा नाता है। उनका यह पैतृक गांव है जहां उनके पूर्वजों के मकान और जमीन जायदाद आज भी अपने मूल स्वरूप में मौजूद है। 

सपरिवार पहुंचे खवासा

डॉ जैन 23 दिसंबर शनिवार को अपनी माता, पत्नी, भाई-भाभी-बहन, काका आदि के साथ खवासा पहुंचे। इस दौरान उन्होंने अपने पैतृक घर को देखा और परिजनों एवं ग्रामवासियों से मुलाकात की। अपने पैतृक गांव और अपने घर से जुड़ाव के चलते उन्होंने अपने 100 वर्ष से अधिक पुराने पैतृक मकान में ही भोजन किया। परिजनों और ग्रामवासियों ने भी डॉ अनिल जैन एवं परिवार का गर्मजोशी से आत्मीय स्वागत-सत्कार किया। उनके पूर्वजों से जुड़े किस्से – इतिहास को उनसे साझा किया। डॉ जैन ने सपरिवार मुनिसुव्रत स्वामी जिनालय में दर्शन-आरती का लाभ लिया। इस दौरान उन्होंने खवासा के राज महल और प्रकृति प्रेमी राजमल चोपड़ा के विभिन्न फूलों से सुसज्जित बगीचे का भी अवलोकन किया। चोपड़ा के बगीचे को देख डॉ जैन एवं परिजन खासे प्रभावित हुए और गुलाब की विभिन्न किस्मों के साथ फोटो खिंचवाने से अपने आप को नहीं रोक पाए। स्थानीय त्रिस्तुतिक जैन श्रीसंघ द्वारा डॉ जैन का बहुमान भी किया गया।

पहली बार आए खवासा

देशभर में ह्रदय बायपास सर्जरी के लिए प्रसिद्ध डॉ अनिल जैन ने झाबुआ live से विशेष चर्चा में बताया कि वे डॉक्टर बनने के बाद पहली बार खवासा आए है। इसके पहले वे स्कूल में पढ़ाई के दौरान खवासा आए थे। डॉ जैन ने कहा कि उन्हें इस गांव से बेहद लगाव है किंतु अत्यधिक व्यस्तता के कारण यहां आ नहीं पाते। व्यस्तता के बावजूद खवासा उनकी स्मृति में सदैव अंकित रहता है। आज भी जब कोई मरीज अहमदाबाद पहुंच कर अपने खवासा या खवासा क्षेत्र से होने की जानकारी देता है तो डॉ जैन उस मरीज की अपने पैतृक गांव का होने के नाते विशेष मदद करते है। डॉ जैन कहते है कि अपनी रूट्स (जड़ों) को कभी नहीं भूलना चाहिए। मेरा परिवार 150 साल खवासा में रहा है उसी के नाते जब मरीज खवासा का नाम लेता है तो स्वाभाविक रूप से मेरे मन में मरीजों के लिए आत्मीयता जाग जाती है।

मेरा गांव-मेरा घर

झाबुआ live ने जब डॉ अनिल जैन से सवाल किया कि आप चिकित्सा क्षेत्र में शिखर पर है जबकि आपके पैतृक गांव में आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं की दरकार है तो आप पैतृक गांव की बेहतर चिकित्सा सुविधाओं के लिए क्या सोचते है के जवाब में डॉ अनिल जैन ने कहा कि जब मेरे पिताजी खवासा छोड़कर गए जब उनकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। फिर भाग्य ने साथ दिया वे डॉक्टर बने और बहुत सफलता मिली। इसके बाद जीवन में मान-सम्मान, इज्जत-शोहरत सभी कमाया अब मेरी इस गांव के लिए कुछ करने की तमन्ना है। खवासा का नाम सुनते ही आज भी “मेरा घर – मेरा गांव” के भाव जागृत हो जाते है। आज खवासा के लिए कुछ करने के इरादे से ही यहां आया हूँ। मैं केवल हार्ट के लिए नहीं बल्कि प्रायमरी सुविधाएं यहां उपलब्ध हो इसके लिए प्रयास कर रहा हूँ। फिलहाल यहां प्रायमरी सेंटर खोलने की इच्छा है। डॉ अनिल जैन ने कहा कि मैं यहां कोई सुविधा शुरू करने के बाद उसे बंद करना नहीं चाहता, मैं चाहता हूँ कि उस सुविधा को स्थायी रूप से चालू रखा जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग उससे लाभान्वित हो सके। मेरी, माताजी और परिजनों की जल्द ही खवासा के लिए कुछ करने की इच्छा है, जल्द ही कुछ करेंगे।