इस्टर पर्व जुटे हजारों धर्मावलंबियों ने मोमबत्ती प्रज्जवलित कर प्रभु येशू को किया याद

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रितेश गुप्ता थांदला
 कैथोलिक चर्च थांदला के प्रांगण में शनिवार-रविवार मध्य रात्रि को प्रभु येशु के मृत्यु के बाद तीसरे दिवस जी उठने का ईस्टर पर्व धूम धाम से मनाया गया। रात्रि में नई आग जो प्रभु येशु की ज्योति का प्रतीक व नई मोमबत्ती जीवित प्रभु येशु के प्रतीक के रूप में प्रज्जवलित की गई। जुलूस के साथ मिस्सा पूजा स्थल तक आए जहां मिस्सा पूजा समारोह प्रारम्भ हुआ। मिस्सा पूजा के मुख्य याजक व मुख्य प्रवचक कैथोलिक डायसिस झाबुआ के बिशप डॉ बसील भूरिया ने समाजजनों को पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रभु येशु मृतकों मेसे सबसे पहले जी उठे और सशरीर आज भी जीवित हैं। उन्होंने घोर कष्ट पीड़ा सहते हुए क्रुस पर मनुष्य मात्र के पापों के प्रायश्चित के लिए अपने आपको मृत्यु के हवाले कर प्राणों की आहुति दी। उन्होंने प्रेम सेवा क्षमा व दीनता का पाठ मनुष्य जाति को पढ़ाया। उन्होंने कहा अगर प्रभुजी नहीं उठते तो हमारा ख्रीस्तीय विश्वास व्यर्थ रहता। प्रभु येशु का जन्म भी नहीं मनाया जाता बल्कि यह ख्रीस्तीय धर्म ही समाप्त हो जाता। किन्तु उन्होंने कब्र मेसे जी उठकर मृत्यु पर विजय प्राप्त की। कैथोलिक चर्च के पल्लीपुरोहित फादर कसमीर डामोर ने बिशप डॉ बसील भूरिया का स्वागत करते हुए शुभकामनाएं दी। मिस्सा पूजा में बिशप डॉ बसील भूरिया, पल्लीपुरोहित फादर कसमीर डामोर, फादर थॉमस डिसूजा, फादर उमेश, फादर एलियास निनामा, फादर राकेश डांगी, ब्रदर मनीष डामोर ने भाग लिया। समारोह को सफल बनाने में पल्ली परिषद के सदस्य संत मैरिज कान्वेंट प्रभुदासी सिस्टर व पल्लीवासियों ने सहयोग किया। राजू कटारा व उसके दल ने मिस्सा के दौरान सुमधुर गीतों की प्रस्तुति दी। कान्तु डामोर शांतिलाल मेडा व पंकज भूरिया द्वारा विशेष सहयोग दिया गया।

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