आदिवासी महिलाओं विकास यात्रा शोध पर डॉ. सीमा शाहजी को सीनियर फेलोशीप अवॉर्ड

May

झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट-
भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय नई दिल्ली की सीनियर फेलोशीप के तहत 21वीं सदी और आदिवासी महिलाओं के विकास की ओर बढ़ते कदम के संबंध में डॉ. सीमा शाहजी ने झाबुआ जिला मप्र विषय पर अपनी शोध परियोजना को दो वर्ष की निर्धारित अवधि में पूरा किया। संपूर्ण जिले मे आदिवासी महिलाओ की विकास यात्रा पर शोधकार्य करने वाली वे प्रथम साहित्यचेता है। शोध प्रबंध की विषय वस्तु पर स्थानीय मीडिया से चर्चा करते हुए डॉ. शाहजी ने कहा कि आदिवासी वर्ग की विकास की समग्र यात्रा में से महिलाओं का हिस्सा अलग से रेखांकित करना अत्यंत कठिन कार्य है। भीषण अभावों, गरीबी, अशिक्षा के बीच दुरस्थ स्थानों पर रह रहे आदिवासी परिवारो से मिलकर उनकी वस्तु स्थिति को जानना एवं उनकी संघर्षपूर्ण विकासयात्रा को भाषा के माध्यम से आकार देना एक चुनौती रही है। क्योंकि यह महिलाएं नहीं जानती कि उन्होने अपने कठिन जीवन जीते हुए कैसे व किन क्षैत्रो मे शनै: शनै: विकास कर लिया। अपनत्व एवं भरोसे के रिश्ते से ही हम इनके जीवन मे प्रवेश कर सकते है। इस शोध प्रबंध की विषय वस्तु को सामने रखकर यह कहा जा सकता है कि इस समय आदिवासी समाज मे जो विकास, प्रगति व बच्चों में शिक्षा के प्रति बढती ललक दिखाई देती है उसका बहुत कुछ श्रेय इन महिलाओं को ही है। शासन की कल्याणकारी योजनाओं से जुडक़र ये राष्ट्रीय स्तर पर झाबुआ जिले का नाम रोशन कर रही है। डॉ. सीमा शाहजी ने बताया कि शोध प्रबंध तो भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय को भिजवाया ही जा रहा है। लेकिन हमारा कार्य एवं कर्तव्य यहीं समाप्त नही हो जाते। इन महिलाओं ने अपने श्रम से विकास की जो गाथाएं लिखी है उसे आगे बढाने मे ही इस क्षेत्र का संपूर्ण विकास निहित है हम सभी को इस और भी प्रयास करने चाहिए। गौरतलब है कि डॉ.सीमा शाहजी हिन्दी साहित्य की विदुषी लेखिका हैं। राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लेखन के अलावा आकाशवाणी के इन्दौर केन्द्र से भी उनकी कहानियों, कविताओ एवं वार्ताओं का प्रसारण होता रहा है। सांसद कांतिलाल भूरिया, विधायक कलसिंह भाबर, कलेक्टर आशीष सक्सेना, एसपी महेशचंद्र जैन, नगीन शाहजी एवं मीडिया कर्मियों ने उनके इस प्रशंसनीय कार्य की सफलता पर बधाई दी है।