आचार और विचार एक दूसरे को विकृत करते है- भंसाली

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झाबुआ लाइव के लिए थान्दला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट- स्वच्छंद मन शुभ भावों को पकड़ता रहता है और उन्हें विकारों के रूप में आकार प्रदान करता है मन में वे विचार घुलते रहते है, जब वे प्रवृति में बाहर प्रकट होते है उससें आचार अशुद्ध बनता है। अशुद्ध आचार भी विचारों को दूषित करने में सहयोगी है अत: मन की स्वच्छंदता को रोकना जरुरी है मन को अपने नियंत्रण में रखना साधना है मन के नियंत्रण में अपने आप को रखना स्वच्छंदता है। पख्खी पर्व के दौरान पौषध भवन पर व्याख्यानमाला में उक्त विचार धर्मदास जैन स्वाध्यायि संघ के स्वाध्यायि भरत भंसाली ने व्यक्त किये। इस अवसर पर स्वाध्ययि राजेन्द्र रुनवाल ने बताया कि भावपूर्वक प्रदान किया गया सामन्य आहार भी भगवान महावीर ने ग्रहण करके चन्दन बाला पर उपकार किया था अत: भावना बलशाली है। पक्खी पर्व पर पक्खी श्रावक आराधना मंडल के 33 श्रावकों ने उपवास तप की आरधना की सभी तपस्वियों के पारणे का लाभ चन्द्रकांता बाबूलाल रुनवाल परिवार ने लिया। अवसर पर जैन पाठशाला मे धार्मिक अध्ययन करने वाले सभी विद्यार्थियों का आतिथ्य सत्कार भी किया गया।

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