झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट- पाप प्रवृति से बचने वाला व्यक्ति पंडित है, बुद्धिमान है ,भोगो से विरक्त होकर त्याग के मार्ग पर चलना साधना है, त्याग मार्ग कर्म भूमि क्षैत्र मे ही रहा हुआ है। त्याग मार्ग पर चलते हुए फिसलन सम्भव है जो फिसलता नही वह साधक है परन्तु सम्हल कर पुनः साधना मार्ग मे स्थापित होना भी साधना है। उक्त विचार पक्खी पर्व के अन्र्तगत व्याख्यान माला मे पोषध भवन पर धर्मदास जैन स्वाध्यायी संघ के स्वाध्यायी भरत भंसाली ने व्यक्त किए। दस वैकालिक सूत्र के दूसरे अध्ययन की व्याख्या करते हुए भंसाली ने बताया कि राजमती व रथनेमी का प्रसंग अशुभ भावों को नष्ट करके साधना मे प्रतिष्ठित करने वाला है, मातृशक्ति को अबला नही सबला बनाने वाला है। इस अवसर पर स्वाध्यायी राजेन्द्र रुनवाल ने धर्म दलाली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए श्रीकृष्ण वासुदेव व श्रेणिक राजा के उदाहरण प्रस्तुत किए। प्रत्येक पक्खी पर्व पर विभीन्न धार्मिक आयोजन होते है। इस पक्खी पर्व पर 40 पुरुष व 25 महिलाओं ने उपवास तप की आराधना की। सायंकाल प्रतिक्रमण मे आराधकों ने भाग लिया । पारणे का लाभ सुन्दरलाल भंसाली परिवार ने लिया।
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