योगेन्द्र राठौड़, सोंडवा
श्राद्ध पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण कार्य किया जाता है। ये तो सब जानते हैं लेकिन इन दिनो संजा बनाने की भी परंपरा रही है। संझा पर्व का उत्साह अब इस आदिवासी अंचल में लगभग खत्म होने को है। कुंआरी कन्याएं गोबर से घर की दीवार पर बनाती है संझा बाई, 16 दिनों तक युवतियां करती थी आरती और आराधना।
