हरि नाम अमृत पान है ,जिसने राम को भज लिया उसने भवसागर तर लिया : ज्ञानीजी महाराज

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कुंवर हर्षवर्धनसिंह परिहार, राणापुर

राणापुर के श्री कृष्ण गार्डन पर आयोजित रामकथा अंतिम दिवस दिवस पर व्यास पीठ पर विराजमान ज्ञानी जी महाराज ने अमरत्व की महिमा का ज्ञान करवाते हुए कहा हरि नाम अमृत पान है ,जिसने राम को भज लिया उसने भवसागर तर लिया खुशी लेने में नहीं बल्कि देने में है। राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न चारों भाइयों के बचपन का एक प्रसंग है। जब ये लोग खेलते थे तो लक्ष्मण राम की तरफ उनके पीछे होता था और सामने वाले पाले में भरत और शत्रुघ्न होते थे। तब लक्ष्मण हमेशा भरत को बोलते कि राम भैया सबसे ज्यादा मुझे प्यार करते है तभी वो हर बार अपने पाले में अपने साथ मुझे रखते है। लेकिन भरत कहते नहीं कि राम भैया सबसे ज्यादा मुझे प्यार करते है तभी वो मुझे सामने वाले पाले में रखते है ताकि हर पल उनकी नजरें मेरे ऊपर रहे, वो मुझे हर पल देख पाएं क्योंकि साथ वाले को देखने के लिए तो उनको मुड़ना पड़ेगा।

ज्ञानीजी महाराज ने कहा फिर जब भरत गेंद को राम की तरफ उछालते तो राम जानबूझ कर गेंद को छोड़ देते और हार जाते, फिर नगर में उपहार और मिठाइयां बांट कर खुशी मनाते। सभी पूछते रामजी आप तो हार गए फिर आप इतने खुश क्यों है, राम बोलते मेरा भरत जीत गया। फिर लोग सोचते जब हारने वाला इतना कुछ बांट रहा है तो जीतने वाला भाई तो पता नहीं क्या, क्या देगा? 

लोग भरत के पास जाते है लेकिन ये क्या भरत तो लंबे: लंबे आंसू बहाते हुए रो रहे है। लोगों ने पूछा: भरत जी आप तो जीत गए है, फिर आप क्यों रो रहे है? भरत बोले: देखिए मेरी कैसी विडंबना है, मैं जब भी अपने प्रभु के सामने होता हूँ तभी जीत जाता हूँ। मैं उनसे जीतना नहीं मैं उनको अपना सब कुछ हारना चाहता हूँ। मैं खुद को हार कर उनको जीतना चाहता हूँ। इसीलिए कहते है, भक्त का कल्याण भगवान को अपना सब कुछ हारने में है, सब कुछ समर्पण करके ही हम भगवान को पा सकते है। एक भाई दूसरे भाई को जीता कर खुश है और दूसरा भाई अपने भाई से जीत कर दुःखी है। इसीलिए कहते है खुशी लेने में नहीं बल्कि देने में है।

जिस घर में भाई-भाई मिल कर रहते है। भाई-भाई एक दूसरे का हक नहीं छीनते उसी घर में राम का वास है। जहां बड़ों की इज्जत है। बड़ों की आज्ञा का पालन होता है, वहीं राम है। जो भी काम करें उसमें “सत्य निष्ठा” हो और यही सच्चा जीवन है। यही राम कथा का सार हैरामकथा में आज पूर्णाहती के अवसर पर रामयज्ञ का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य जजमान मनोज सागर सिंह पँवार ,मनीष शैतान सिंह पँवार ,नारयण पंडा ,बाबुलाल राठोड ने सकल ब्रमांड की सुख सम्रद्धि की कामना के लिए आहुति दी।नगर  के के नागरिकों के लिए महाप्रसादी का  लाभ सकल सनातन धर्म के धर्म प्रेमी बंधुओ ने प्राप्त किया और दैनिक जजमान का लाभ प्रदीप सोलंकी ओर शेलेन्द्र सिंह सोलंकी ने ओर आरती प्रसादी का लाभ मांगीलाल रूपचन्द जी ने प्राप्त किया ,व्यास पीठ के पुजन का लाभ मुख्य जजमान नारायण जी पंडा, बाबुलाल जी राठोड ,मनोज सागर सिंह ,मनीष शैतान सिंह पँवार ने लाभ प्राप्त किया।

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