गच्छाधिपति आचार्य देवेश मसा के नगर आगमन पर जैन समाज ने निकाली भव्य शोभायात्रा

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झाबुआ लाइव के लिए राणापुर से मंयक गोयल की रिपोर्ट-
मंगलवार का दिन नगर के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया। यहां की माटी में जन्म लेकर त्रिस्तुस्तिक जैन समाज के गच्छाधिपति पद पर मनोनीत होकर प्रथम बार नगर आगमन पर आचार्यदेवेश नित्यसेन सूरीश्वर मसा व 42 वर्षों की दीर्घावधि पश्चात नगर में पधारे आचार्यदेवेश जयरत्न सूरीश्वरजी का पूरे नगर ने पलक पावड़े बिछाकर स्वागत किया। झाबुआ नाके से सुबह 9 बजे प्रारंभ हुई शोभायात्रा को सभा स्थल तक पहुंचने में 4 घंटे लग गए। उसके बाद शुरू हुई सभा पूरे 3 घंटे तक चली। सैकड़ों श्रावक श्राविकाएं अपने गुरु के आशीर्वचन सुनने के लिए बैठे रहे।
इंद्रप्रस्थ पर हुई अगवानी
सुबह करीब 8 बजे आचार्य द्वय अपने मुनिमण्डल व साध्वी मंडल के साथ ढेकल से विहार कर यहां पहुंचे।समाज जनों ने उनकी अगवानी की। इंद्रप्रस्थ पर सभी के लिए नवकारसी विमलकुमार बांठिया परिवार की ओर से हुई।शोभायात्रा में नगर की जैन समाज के अलावा माहेश्वरी समाज, दिगम्बर जैन व अग्रवाल समाज के महिला मंडल अपने अपने गणवेश में शामिल हुए। कन्या परिसर की छात्राएं लोकनृत्य करते चल रही थी। पूरे नगर में जगह जगह नगर जनों ने अक्षत से गहूंली कर आचार्यद्वय से आशीर्वाद लिया।बोहरा समाज के जुझर भाई, हुसैनी भाई ने कामली ओढ़ाई।
जिसके घट में नवकार उसका कोई बिगाड़ नही कर सकता
पूरे 4 घंटे नगर भ्रमण पश्चात शोभायात्रा ऋषभ गार्डन पहुंची।यहां धर्म सभा हुई। मुख्य अतिथि जयंतसेन सूरी प्रभावक ट्रस्ट पेपराल के अध्यक्ष मफतलाल बारिया थे। अतिथि के रूप में हीराभाई वेदलिया, नवीन भाई मोरखिया, प्रकाश भाई मोरखिया, मनोहर भंडारी, मुकेश जैन नाकोड़ा आदि थे।अतिथि स्वागत श्रीसंघ व परिषद परिवार ने किया। सुरेश समीर ने राणापुर रा आंगनिये आचार्यद्वय विराजे रे गीत व पुंजल, दीपिका ने गुरु भक्ति गीत प्रस्तुत किया। आचार्य देव का वासक्षेप पूजन व कामली ओढ़ाने की बोली चांदमल चंपालाल सेठ परिवार ने ली। अग्रवाल समाज की ओर से पवन अग्रवाल, नगर परिषद की ओर से मुकेश नागोरी ने कामली ओढ़ाई गई। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए दिलीप सकलेचा ने लोकसंत के उपकारों को याद किया। सकलेचा ने दोनों आचार्य से अगला चातुर्मास नगर में करने की विनती की। मनोहर भंडारी व महिला परिषद की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गुणमाला नाहर ने सम्बोधित किया। मुनि निपुणरत्न विजय ने कहा कि गुरुदेव ने नवकार को जपा पर हमने नवकार के अलावा बहुत कुछ दूसरा जपा। नवकार गुरुदेव के रोम रोम में बसा था। मुनि श्री विद्वतरत्न विजय जी ने कहा कि जिसने अपने घट में नवकार उतार लिया उसका इस संसार मे कोई कुछ नही बिगाड़ सकता।आचार्य श्री जयरत्न सुरिश्र्वरजी ने कहा कि मानव भव मिलने पर भी जो आत्मा धर्म को धारण नही करती उसका उद्धार सम्भव नही।
आचार्यश्री सांसारिक जीवन घटनाये बताई
आचार्य नित्यसेनसूरीश्वरजी ने अपने सांसारिक जीवन की घटनाएं बताई।उन्होंने कहा कि 1966 में रमेश नाहरएमांगीलाल व्होरा, रमणलाल व शेतानमल कटारिया के कहने पर धार्मिक पाठशाला गये।वहां पढ़ाने वाले मुनि पुण्य विजय मसा ने उन्हें दीक्षा लेने की बात कही तो उन्होंने पाठशाला जाना छोड़ दिया। आठवी कक्षा की पढ़ाई के लिए स्कूल जाते समय मुनि श्री जयन्तविजय जी के प्रवचन कानो में पड़े।स्कूल न जाते हुए प्रवचन सुनने ही बैठ गया।बस फिर तो यह रोज का क्रम बन गया।उसी दौरान संयम के बीज पुष्ट हो गए। फिर संयम ग्रहण कर 50 सालों तक गुरु सेवा व सानिध्य में रहने का मौका मिला।उन्होंने लोकसंत से जुड़ी कई बातें बताई। संचालन कमलेश नाहर ने किया। आभार प्रदीप भंसाली ने माना।

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