आत्मा का शुद्ध स्वरूप ही मोक्ष है : चारित्रकलाजी

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झाबुआ लाइव के लिए राणापुर से एमके गोयल की रिपोर्ट-
कर्मों का आवरण हटते ही आत्मा मुक्त होकर उद्धगामी हो जाती है।आत्मा का शुद्ध स्वरूप या स्वभाव ही मोक्ष है।उक्त बात आचार्य जयंत सेन्सुरीश्वरजी की आज्ञानुवर्तिनी साध्वी चारित्रकला जी ने कही। वे राजेन्द्र भवन के देशना हाल में धर्मसभा में प्रवचन दे रही थी। उन्होंने कहा कि सम्यक दर्शन पाने वाला जीव ही भव से पार हो पाता है। आत्मा पर छाये कर्म हमे दीखते नहीं हैं। तीर्थंकरों के चरित्र का श्रवण कर इन्हें हटाया जा सकता है। पंचम आरा के इस अवसर्पिणी काल में आदिनाथ भगवान पालिताणा व शंखेश्वर पाश्र्वनाथ भगवान का मिलना हमारा प्रबल पुण्योदय है। उन्होंने शंखेश्वर पाश्र्वनाथ भगवान की प्रतिमा के आषाड़ी श्रावक द्वारा भराए जाने से लेकर इंद्र महाराज द्वारा देवलोक में ले जाकर पूजने से लेकर अब तक पूरा इतिहास बताया।
16 तपस्वी ने किए तेले
चातुर्मास की शुरुआत में शंखेश्वर पाश्र्वनाथ के तेले यानि तीन उपवास की तपस्या पूर्ण हुई। 16 तपस्वियों ने इसमें तीन दिन तक निराहार उपवास रखकर आराधना की। गुरुवार को तपस्वियों के पारणे राजेन्द्र भवन में हुए।इसके लाभार्थी शांतिबाई बाबूलाल भंसाली परिवार दाहोद वाले थे। अभय भंसाली का बहुमान दिलीप सकलेचा, राजेन्द्र सियाल व चन्द्र सेन कटारिया ने किया। कोकिला भंसाली का स्वागत आशा सकलेचा ने किया। प्रभावना के लाभार्थी अनिल सेठ का बहुमान नीलेश मामा, तरुण सकलेचा ने किया। संचालन कमलेश नाहर ने किया।