78 पंचायतों में 243 राजस्व ग्राम 31 पटवारी के भरोसे चल रहा कार्य

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
भाजपा के शासन काल में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का यह लगातार 14 वां वर्ष चल रहा है और इतने वर्षों में मुख्यमंत्री ने कई जनकल्याणकारी योजनाएं बनाई है जिनसे पूरे प्रदेशवासियों को काफी फायदा हुआ है और लोकतंत्र में योजनाओं के क्रियान्वयन की व्यवस्था और जिम्मेदारी प्रशासन अमले के सुपूर्द होती है। क्योंकि प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी ही वह माध्यम है जो योजनाओं तो अक्षर सह पालन करवाते हुए अंतिम छोर तक खड़े हुए व्यक्ति तक योजना का लाभ पहुंचाते है किंतु झाबुआ जैसे आदिवासी बाहुल्य जिले में पिछले कुछ समय से योजनाओं को जनता तक पहुंचना तो दूर उनके क्रियान्वयन और व्यवस्था भी डगमगा गई है। इसका सबसे बड़ा कारण झाबुआ जैसे बड़े जिले में प्रशासनिक अधिकारियों की कमी है। पिछले एक वर्ष में पेटलावद जैसी बड़ी तहसील जहां राजस्व निरीक्षक के प्रभार वाले तहसीलदार के माध्यम से चलाई जा रही है तो वहीं इन सब की कमान संभालने वाले एसडीएम सीएस सोलंकी का भी राज्य शासन ने गत दिनों स्थानांतरण कर दिया है। उल्लेखनीय है कि झाबुआ और थांदला के एसडीएम का पहले से स्थानांतरण हो चुका है और पिछले हफ्ते ही थांदला एसडीएम का स्थानांतरण होने पर रिलिव करने के आदेश भी जारी हुए थे किंतु कलेक्टर के हस्तक्षेप के पश्चात वर्तमान में थांदला एसडीएम को रिलीव नहीं किया गया है। वहीं राज्य शासन ने जो प्रशासनिक आदेश जारी किया है उसमें पेटलावद एसडीएम सीएस सोलंकी को तो अन्यत्र स्थान पर स्थानातंरित कर दिया गया है किंतु उनके स्थान पर नई पद स्थापना नहीं की गई।
फेक्ट फाइल-
पेटलावद तहसील के अंतर्गत 78 पंचायतों में 243 राजस्व ग्राम आते है जिनमें कामकाज देखने के लिए लगभग 41 हल्कों में 41 पटवारियों की पूर्व में भर्ती होकर इनके द्वारा काम काज संभाला जा रहा था किंतु पिछले एक वर्ष में कई पटवारियों के सेवानिवृत्त और स्थानांतरण के पश्चात लगभग 31 पटवारी ही तहसील में बचे है और कई पटवारियों के पास दो से तीन हल्कों का अतिरिक्त चार्ज है। इस अतिरिक्त चार्ज की वजह से पटवारी ठीक ढंग से अपने कामों को संपादित नहीं कर पा रहे है। वहीं इन पटवारियों की मानिटरिंग के लिए मात्र दो राजस्व निरीक्षक ही पूरी तहसील में तैनात है जबकि पेटलावद की भौगोलिक व्यवस्था के अनुसार कम से कम 4 राजस्व निरीक्षक इस तहसील में होना आवश्यक है। वहीं धीरे धीरे नगरीय रूप का आकार ले रहे पेटलावद नगर में डायवर्शन और निर्माण से संबंधित प्रक्रियाओं के संपादन के लिए अतिरिक्त राजस्व निरीक्षक भी होना आवश्यक है।
दो उप तहसील-
वर्ष 2009 में पेटलावद तहसील के अतिरिक्त सारंगी उप तहसील के रूप में अस्तित्व में आई थी वहीं 2012 में शासन ने झकनावदा को भी उप तहसील का दर्जा दे दिया था। वर्ष 2013 में पेटलावद में एक एसडीओ,एक एसडीएम पर्यवेक्षा पर एक तहसीलदार और दो नायब तहसीलदार सहित एक नायब तहसीलदार पर्यवेक्षा पर थे जिनके द्वारा पूरी तहसील का काम काज संभाला जाता था लेकिन वर्ष 2016 से पेटलावद में एक स्थाई तहसीलदार तक नहीं है.
कर्मचारियों की कमी है –
अधिकारियों के अलावा कमोबेश तहसील व एसडीएम कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों की भी स्थिति काफी खराब है. पेटलावद तहसील में सर्वाधिक राजस्व प्रकरण पंजीबद्ध होते है। वहीं दांडिक एवं जन सुनवाई के अतिरिक्त अपीली न्यायालय के कामकाज के साथ ही साथ ला-एंड-ऑर्डर की व्यवस्था हेतु भी अलग अलग कर्मचारी व स्थापना शाखा के प्रभारियों की आवश्यकता है किंतु पूरे काम काज को मात्र 3 से 4 बाबूओं के द्वारा चलाया जा रहा है यहां तक की स्थिति इतनी भयावह है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों और चौकीदारों से बाबुओं का कामकाज चलवाया जा रहा है।
प्रदर्शन में कमी-
सबसे पहले अधिकारियों व कर्मचारियों की कमी के चलते जनता के काम समय पर और सही तरीके से नहीं हो पाते। वहीं पूरी तहसील व एसडीएम कार्यालय में संसाधनों की भी भारी कमी है जिनमें कम्यूटर, लेपटाप, इंटरनेट,फोटो काफी मशीन व अन्य संसाधन शामिल है। इन उपकरणों के अभाव में अधिकांश कामकाज कर्मचारियों द्वारा निजी स्तर पर बाहर से करवाया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार लगभग 3 वर्ष से तहसील में किसी भी प्रकार की स्टेशनरी भी जिले से प्राप्त नहीं हुई है.
जनप्रतिनिधि भी उदासीन-
कमोबेश काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारी की व्यवस्था जिले में करने की जिम्मेदारी उस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की भी बनती है। समीपस्थ जिले अलीराजपुर में जनप्रतिनिधियों ने समस्त विभागों में स्टॉफ व अधिकारियों की पर्याप्त पूर्ति कर रखी ह ैकिंतु झाबुआ जिले में और विशेष तौर पर पेटलावद क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते जनता का काम समय करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों की कमी है। ऐसे समय में ब्लास्ट जैसी विपरीत परिस्थितियों में पदस्थ हुए एसडीएम सोलंकी ने जहां अपनी प्रशासनिक दक्षता और सबको लेकर चलने की कार्यशैली से पूरा कामकाज संभाल रखा था किंतु उनके स्थानांतरण और नवीन पदस्थापना के अभाव में पेटलावद के तहसील कार्यालय की व्यवस्था ओर बिगडऩे की संभावना बढ़ती जा रही है। वहीं योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी इस चीज का असर दिखाई देगा।

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