समाज सुधारक संत गलारामजी महाराज का 115 वर्ष की आयु में हुआ, अंचल हुआ गमगीन, डोल निकाल दी समाधि

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
रविवार को संत श्री गलारामजी महाराज उम्र 115 वर्ष का स्वर्गवास हो गया। महाराजजी ने आदिवासी समाज सुधारक के रूप में अपना पूरा जीवन बिताया। उनके द्वारा प्रेरित होकर हजारों आदिवासियों ने शराब व मांस मदिरा छोडक़र भक्ति मार्ग को चुना है। उनके निधन पर उनके लाखों शिष्यों में शोक की लहर दौड़ गई। उनका अंतिम संस्कार प्रक्रिया में डोल में बिठाकर जुलूस निकाला गया और जमीन में गड्ढा खोद कर समाधी दी गई। अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में हजारों भक्तगण उपस्थित रहे। महाराज का जन्म 1 जनवरी 1903 मेंबेकल्दा क्षेत्र के आदिवासी परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी उम्र के 30 वें वर्ष में भक्ति मार्ग को अपनाकर आदिवासी समाज सुधार का कार्य किया। 85 वर्ष तक लगातार मेहनत करके आदिवासियों को सही राह दिखाई और अंत में रविवार को शरीर छोडा। शरीर छोडने के पहले भी पूर्ण रूप से स्वस्थ्य और समाजसेवा के कार्य में लगे रहे। पेटलावद क्षेत्र में आदिवासी सुधारक के रूप में जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता गलाजी को कई बार सम्मानित भी किया गया। क्योंकि उनके द्वारा समाज में नशामुक्ति का बहुत बड़ा मिशन चलाया गया था। जिससे आज हजारों आदिवासी शराब के सेवन से बचे हुए है। क्षेत्र सहित इंदौर व उज्जैन आदि संभागों के सभी जिलों में उनके लाखों शिष्य है। उनकी शिक्षा एक ही थी कि समजा नशामुक्ति,जीव हत्या नहीं करना और मांस का त्याग कर सभी प्रकार के दोषो से मुक्त होकर समाज में एकता व प्रेमभाव स्थापीत करना। उनका लक्ष्य था कि पढ़े- लिखे ही नहीं वरन अनपढ़ भी भक्ति की कला को सीखे और संत परंपरा को निभाएं। जिसके सुखद परिणाम दिखाई दे रहे है। गुरूदेव के निधन पर शिष्यों ने संकल्प लिया कि गुरूदेव की शिक्षा व भक्ति को हमेशा आगे बढ़ाएगें। व इसकी ज्योति को बुझने नहीं देंगे। यहीं हमारे गुरू के प्रति सच्ची श्रद्वांजलि होगी। उन्होंने भक्ति के लिए योग मार्ग को चुना था। योग शिक्षा से शरीर में सभी देवताओं के दर्शन किए जा सकते है। गुरूदेव ने जिस प्रकार समाज में पाप कर्म छुडाकर सद्मार्ग पर लाने का कार्य किया है वह सतत जारी रहेगा। शिष्य रामचंद्र परमार, गलाजी परमार, नानुराम भूरिया प्रमुख है। गुरूदेव के अंतिम संस्कार के रूप में ग्राम बेकल्दा में उनकों पालकी में बिठा कर डोल निकाला गया। उसके बाद जमीन में एक गड्ढा कर उन्हें समाधी प्रदान की गई। कार्यक्रम का संचालन सरपंच विश्राम डामर, रोजगार सहायक सुधाकर वैरागी, रामचंद्र भूरिया, लालसिंह सिंगाड़, अंबाराम निनामा, रामलाला भूरिया सहित ग्रामीणों ने शोक व्यक्त किया। शोक सभा में विशेष रूप से डॉ विक्रांत भूरिया, पूर्व विधायक सरदारपुर प्रताप ग्रेवाल, पूर्व विधायक पेटलावद वालसिंह मेडा, रायपुरिया मंडल अध्यक्ष अजमेर सिंह भूरिया, कलसिंह भूरिया, जिला पंचायत सदस्य कलावती गेहलोत, रूपसिंह डामर, लाभु चारण, एनएल गेहलोत, गंगाराम वाखला, केहरसिंह, हिरालाल डाबी, सरदार सिंह कटारा सहित पेटलावद, सरदारपुर, मनावर, धार, रतलाम, धामनोद, खरगोन, नालछा आदि जगह के हजारों भक्तों ने अंतिम यात्रा में उपस्थित होकर नम आंखो से विदाई दी।

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