मन मंदिर मेें दया के दीये जलाए : महासती ताराकंवर

May

झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
गुरु ज्ञान देने वाले है, रास्ते पर चलना सिखाते है मन के अज्ञान को हटाकर साधक बनने की प्रेरणा देते है। मन वचन-काया को साध कर मुक्ति मार्ग पर बढऩे की राह बताते है। मन मंदिर में दया के दिए को जलाने की बात बताते है। उक्त प्रेरक उद्गार स्थानक भवन पर विराजित महासती ताराकंवर मसा ने आचार्य प्रवर उमेशमुनि (अणु) की 5वीं पुण्यतिथि पर स्थानक भवन पर आयोजित गुणानुवाद सभा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज के दिन कुछ व्रत नियम लेकर स्मृति दिवस को सार्थक करना है। गुरुदेव ने जाति और वंश की उन्नति कर अपने जीवन को सार्थक किया है। हम अपनी बुद्धि का दुरूपयोग न कर पाप- क्रियाओं से बचे अपने अहं का विसर्जन करे और मुक्ति के पथ पर आगे बढ़े।
महासती सुप्रतिभा ने कहा कि स्मृति दिवस पर आत्मचिंतन करे की गुरुदेव के जीवन से क्या सीखा और अपने जीवन में क्या उतारा। गुणानुवाद सभा में खुशबु कटकानी, वर्षा मेहता, डॉली भंडारी, स्मृति मूणत, सोनम भंडारी, सिद्धि मूणत एवं वंदना सोलंकी ने स्तवन प्रस्तुत किया। स्वाध्यायी सोहन चाणोदिया ने कहा कि गुरुदेव ने समय समय पर हमें जीवन जीने की कला के प्रति बोधित किया। संघ अध्यक्ष नरेंद्र कटकानी ने कहा कि आपने ज्ञान दर्शन चारित्र की महती प्रभावना कर जिन शासन को आलोकित किया। संघ सचिव जीतेन्द्र कटकानी ने कहा कि गुरुदेव का हम पर महान उपकार है आज के दिन गुरुदेव के जीवन से प्रेरणा लेकर आत्मकल्याण की और बढे।
उमेशमुनिजी ने चौकीदार बनाकर धर्म जाग्रत किया-
वरिष्ठ श्रावक जीतेन्द्र मेहता ने कहा कि उमेश मुनिजी ने चौकी पर बैठ कर नहीं चौकीदार बन कर धर्म जाग्रत की है। पूर्व संघ अध्यक्ष शांतिलाल चाणोदिया ने कहा कि गुरुदेव ने साधन को नही साधना को महत्व दिया है। स्वाध्यायी नीरज मूणत ने कहा कि महापुरुषों के सानिध्य में महापुरुषों का स्मृति दिवस मनाना गौरव की बात है आसक्ति से परे हट कर त्याग के द्वारा ये दिवस मनाना है। गुणानुवाद सभा में दीर्घ तपस्या की और अग्रसर कमलादेवी मेहता ने 14 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। इस अवसर पर नवकार मंत्र का जाप भी रखा गया। कार्यक्रम का संचालन राजेंद्र कटकानी ने किया।