मनुष्य जीवन में मेरा-मेरा करते हुए मरता है, तभी उसका तेरवा होता है: पंडित नागरजी

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नोटबंदी के बाद मिला समय नोट बदलवाने का किन्तु जब शरीरबंदी (मृत्यु)आ जाएगी तब कोई समय नहीं मिलेगा : पंडित  नागरजी 
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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-

नरसिंह मेहता ने केदार राग में वह भजन गाएं जिससें भगवान उनकी धुन सुन कर भगवान दौड़े चले आते थे, जैसे हमारी मोबाइल की टोन से पता चलता है कि यह हमारा मोबाइल बजा है वैसे ही भगवान भी भक्त के मोबाईल की धुन सुन लेते है। नरसिंह मेहता का भजन सुनाया जिसे सुन पूरा पांडाल मंत्रमुग्ध हो गया।
दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अखियां प्यासी रे- मन मंदिर की ज्योति जला दो, घट-घट वासी रे, द्वार दया का जब तू खोले, पंचम स्वर में गूंगा बोले, अंधा देखें लंगडा चलने लगा। उक्त बात भागवत कथा के पांचवे दिन पं. कमल किशोरजी नागर ने कही। इसी प्रकार उन्होंने बताया कि मीरा ने भी ऐसे भक्ति गीत गाए की भगवान को दौड़ कर आना पड़ा, हम कहते है पग घुंघरू बांध मीरा नाची थी नहीं है। मीरा तो मन घुंघरू बांध मीरा नाची थी यानी मीरा बाई ने अपने मन को वश में कर के भगवान की भक्ति की थी। भ्रष्टाचार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब हम बीमार होते है तो खाना पीना छोड देते है, तब हमें हमारा जीवन बचाने के लिए रिश्वत खाने से भी बचना चाहिए, शरीर के कारण खाना छोड़ते है तो धर्म के लिए रिश्वत खाना नहीं छोड़ सकते हैं। पुलिस जब चालान कोर्ट में पेश करती है उसके बाद उस चालान में कोई बदलाव नहीं हो सकता है वैसे ही मृत्यु के बाद कोई भूल का सुधार नहीं होता है। मृत्यु के पूर्व अपने अच्छे कर्मो से अपने जीवन को सुधारा जा सकता है। नोटबंदी की बात करते हुए कहा नागरजी ने कहा कि नोटबंदी के बाद भी कुछ समय मिला है नोट बदलवाने का किन्तु जब शरीर बंदी यानी मृत्यु आ जाएगी तब कोई समय नहीं मिलेगा। इसलिए मृत्यु के पूर्व ही सारे इंतजाम कर लो, भगवान फिर मौका नहीं देगा। भगवान की लीलाओं का वर्णन करते हुए बताया की भगवान का महारास छह माह तक चला. जिसमें भगवान शिव और पार्वती भी आए। इस रास में भगवान ने गोपियों की सारी वासनाएं दूर कर दी और उन्हे परब्रम्ह से मिलवाया। इसके साथ ही पंडित नागर ने कहा कि जब भजन में कोई अड़चन नहीं आए मतलब समझ लेना भगवान से तार जुड गया है। मनुष्य पूरे जीवन मेरा-मेरा करते हुए मर जाता है तभी उसका तेरवा होता है. यानी की जो मेरा मेरा करते मरा उसका सब कुछ भगवान तेरा। गोवर्धन पूजा की कथा सुना कर उसका महत्व बताया उन्होंने बताया कि गंगा, गाय, गीता, गोवर्धन हमारे लिए पूज्यनीय है. हमें इनका सम्मान करना होगा।
वृद्धाश्रम और गौ शाला न बने-
हमारी राय है देश में कोई वृद्धाश्रम नहीं बने न ही कोई गौशाला बने। हमे हमारे माता पिता को वृद्धाश्रम नहीं भेजना पड़े। हमारे माता-पिता कोई डिस्पोजल नहीं है जिन्हे हम वृद्धाश्रम भेजे। गायों के लिए भी गौ शाला न बनाना पड़े, हर घर में गाय का पालन हो तो कोई गौशाला की जरूरत नहीं रहेगी। भगवान की भक्ति में मन लगे इसके लिए सत्संग में जाना जरूरी है क्योंकि सत्संग से ही भगवान की भक्ति की राह मिलेगी। इस समय उन्होंने गुनगुनाया कि थोड़ी दया की दृष्टि को, गोपाल मेरी नौकरी पक्की करों। मनुष्य की सहज मृत्यु होना चाहिए, उसे अपने जीवन में सहज ही रहना चाहिए, जैसे आम अपना रंग बदलता है वैसे ही मनुष्य को जीवन में अपने कर्म बदल कर भगवान की भक्ति में लग जाना चाहिए। मुख्य यजमान भगवती प्रसाद जायसवाल परिवार द्वारा गुरूदेव को झुलडी भेंट की गई। अंत में आरती का आयोजन रखा गया।

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