पेटलावद नपं अध्यक्ष की कार्यप्रणाली पर खुद की पार्टी भाजपा से जुड़े पार्षद ने उठाए सवाल; सोशल मीडिया पर छलका दर्द…

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सलमान शैख@ झाबुआ Live

इन दिनों नगर परिषद पेटलावद के भाजपा समर्थित अध्यक्ष मनोहरलाल भटेवरा अपने एकला चलो नीति के चलते काफी सुर्खियों में बने हुए है। साथ ही भाजपा से जुड़े कई पार्षदों की मोन स्वीकृति भी उन पर सवाल खड़े कर रही है। 

कल बुधवार शाम नगर परिषद अध्यक्ष को लेकर वार्ड 5 के भाजपा समर्थित पार्षद कमलेश लाला चौधरी द्वारा डाली गई एक पोस्ट ने फिर से पेटलावद की राजनीति को गरम कर दिया है। उन्होंने खुद की ही पार्टी के अध्यक्ष पर गंभीर सवाल खड़े किए है। 

पार्षद लाला चौधरी ने सोशल मीडिया फेसबुक पर पोस्ट डालते हुए लिखा कि *#मौज_कर_दी_मोटा_भाई…. पोल तो आपकी खोलुंगा…* फिर एक पंक्ति लिखी.. कि 

*मै वो कलम नहीं जो, बिक जाती बाजारों मे, मै शब्दों की दीप शिखा हुं, अंधियारो चौबारों मे, मैं वाणी का राजदूत हूँ, सच पर मरने वाला हूँ। डाकु को डाकु कहने की, हिम्मत करने वाला हूँ..मेरी कलम वचन देती है अंधियारो से लड़ने की राजमहल के राजमुकुट के आगे तनकर अड़ने की उस जनप्रतिनिधि का मरजाना ही अच्छा है जो खुद खुद्दार नहीं नगर बिके और मै कुछ ना बोलू ,मै ऐसा गद्धार नहीं ……….*

अब इस पोस्ट के बाद पेटलावद नगर के चौराहों पर चर्चा का दौर शुरू हो गया। इस पोस्ट के कई मायने निकाले जा रहे है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर वार्ड पार्षद को आखिर क्यों इस तरह सोशल मीडिया पर पोस्ट के माध्यम से अपना दर्द जाहिर करना पड़ा। 

चलिए हम बताते है…मामला कुछ यूं है कि नगर परिषद अध्यक्ष का अपनी कार्यप्रणाली को लेकर पूरी जनता इन दिनों विरोध कर रही है। कभी बालोद्यान को लेकर तो कभी नगर के कांपलेक्सो की छतो को अपने ही रिश्तेदारों को बारेवारे लीज पर देने के आरोप लगे तो कभी नगर की सालो पुरानी दुकानों को तोड़कर नई बनाने का मामला हो। इन सभी में नगर परिषद अध्यक्ष ने भाजपा की साख पेटलावद में गिराई। 

यह विवादित निर्णय तो नगर में चल ही रहे थे कि बीते दिनों नगर परिषद में हुए एक ओर निर्णय ने एक बड़े विवाद को जन्म दे दिया।  जिस पर खुद की पार्टी के पार्षद ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

दरअसल, बीते एक बैठक नप सभाकक्ष में बैठक का आयोजन किया गया था, जिसमे वार्ड 5 में स्थित गणपति चौक पर बनी दुकानों के ऊपर की छत को लीज पर देने का निर्णय लिया गया था। इसके बाद आज एक प्रेसनोट नप द्वारा जारी होता है, उसमे बताया जाता है कि छतो की नीलामी पूर्व में लिए गए निर्णय के अनुसार नही होगी और वर्तमान में छतो की नीलामी एवं स्वीकृति भी परिषद द्वारा की गई है और बताया गया कि जो भी निर्णय लिए गए है वह सर्वानुमति से लिए गए है, लेकिन साहब अगर निर्णय सर्वानुमति से लिए गए तो फिर क्यों पार्षद सोशल मिडिया पर परिषद के कार्यों पर सवाल उठा रहे है। इस संबंध में पार्षद ने खुद के लेटर पैड पर एक पत्र लिखकर नपं अधिकारी को दिया था, जिसमे उन्होंने छतो को नीलाम नही किए जाने की मांग की थी, लेकिन नप द्वारा जारी किए गए प्रेसनोट से यह साफ जाहिर होता है कि जिस वार्ड में परिषद कोई नया कार्य करने वाली है उसी के पार्षद की सुनवाई परिषद नही कर रही है। आपको हम बता दे कि बीते 10 सालो पहले के 10 सालो का कार्यकाल जो जनता भलीभाती जानती है, ठीक उसी तर्ज पर नगर परिषद अपने बचे बाकी कुछ महीने करना चाह रही है, लेकिन बार-बार इस तरह से नप अध्यक्ष मनोहरलाल भटेवरा और पार्षदों द्वारा लिए जा रहे निर्णय से खड़े हो रहे विवादो से भाजपा की साख पूरे नगर में धूमिल हो रही है। आने वाले नगरीय निकाय चुनाव में इसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है। वहीं इन सभी मामलों में जिले से लेकर स्थानीय अधिकारियों की चुप्पी भी कई सवाल खड़े कर रही है, कि आखिर क्यों अधिकारी इन मामलों में हस्तक्षेप करने से बच रहे है। देखना यह दिलचस्प होगा कि अब पार्षद द्वारा डाली गई इस पोस्ट के बाद नगर परिषद की अगली रणनीति क्या होगी, क्या वह पार्षद की मांग को दरकिनार कर छतो को लीज पर देगी या फिर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाला जाएगा, क्योंकि अब इस विवाद ने एक बड़े विवाद को जन्म दे दिया है। अब लड़ाई पार्षद VS अध्यक्ष के बीच हो गई है।

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