पहले कॉलेज की भूमि पर दिए पट्टे, अब बाउंड्रीवॉल पर ध्यान न देकर अतिक्रमणकर्ताओं को पहुंचाया जा रहा फायदा

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
सरकारी जमीन पर पट्टे दिये जाने और ठेकेदार द्वारा अनियमिततापूर्वक कार्य कर महावीर महाविद्यालय की बाउंड्रीवाल बनाने में मिली शिकायतों पर कार्रवाई न कर स्थानीय प्रशासन एक बार फिर साबित कर दिया कि जनहित के मुद्दों पर आंख मूंद कर सरकारी योजनाओं का जमकर माखौल उड़ाया जा रहा है। बाउंड्रीवाल बनाने वाले ठेकेदार और सरंक्षण देने वाले पीआईयू के जिम्मेदार की जुगलबंदी न तो सेप्टिक टैंक देख पाई न हैंडपंप, इस तरह निर्माण करवा दिया जैसे इनका उद्देश्य मात्र बाउंड्रीवाल खड़ी करना रहा हो चाहे वह आड़ी तिरछी हो या अवैध अतिक्रमण करने को फायदा पहुंचना ही रहा हो।
ये है मामला
महाविद्यालय के दस्तावेजों के अनुसार वर्ष 1984 में राजस्व द्वारा 9.87 हैक्टेयर भूमि शासकीय महाविद्यालय को प्राप्त हुई। इस भूमि में वर्ष 1994 में बिना कालेज प्रशासन की सहमति से सर्वे क्रमांक 694 रकबा 0.092 हैक्टेयर सर्वे नम्बर 695 रकबा 0.067 हैक्टेयर 2 व्यक्तियों को पट्टे दिए। इस संबंध में प्राचार्य ने पत्र क्रमांक 978/94 दिनांक 22 नवंबर 1994 के माध्यम से आपत्ति भी दर्ज करवाई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। मजे की बाद तो यह भी है कि इसके बाद एक बार फिर 14 में भी सर्वे नम्बर 719 में रकबा 0.470 है हैक्टेयर भूमि फिर एक व्यक्ति को इट भट्टा के लिये आवंटित कर दी गई।
अतिक्रमणकर्ताओं के दिन फिरे
कॉलेज परिसर में बाउंड्रीवाल के लिये जब डेढ़ करोड़ रुपए स्वीकृत हुए तो प्राचार्य ने बाकायदा लिखित में राजस्व को अवगत कराया कि यहां पर सीमांकन कर महाविद्यालय की भूमि चिन्हित की जाए। राजस्व ने यह कार्रवाई की या नहीं, महाविद्यालय प्रशासन के पास इसके दस्तावेज मौजूद नहीं है। लेकिन ठेकेदार ने पीआईयू के इंजीनियर के और राजस्व के साथ मिलकर चारों और अवैध अतिक्रमण वालो को भरपूर फायदा दिलाने के लिये मनमर्जी से बाउंड्रीवाल का निर्माण करवा दिया। अंदाजा इसी बात से भी लगाया जा सकता है कि बालिका छात्रावास के शौचालय के सेप्टिक टैंक पर ही बाउंड्रीवाल बना दी। यही नही एक हैंडपंप को भी इस तरह दीवार में लिया गया कि आधा हिस्सा अंदर और आधा हिस्सा बाहर दिखलाई दे रहा है। इस मामले में एसडीएम हर्षल पंचोली से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
जिम्मेदार बोल-
मामला उनके संज्ञान में आते ही 3 सदस्यो की एक कमिटी बनाकर जांच की गईए कई अनियमितता सामने आई है। पूरी रिपोर्ट बनाकर एसडीएम एवं वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया है।                               -किरण दुबे, प्रभारी प्राचार्य

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