इसे कहते है कछुआ गति; करीब 2 किमी सडक़ बनने में लग गए 2 साल; न तो सडक़ बनी और न ही पुरा हुआ कार्य..

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Salman Shaikh@ Petlawad
एक ओर केंद्र और प्रदेश सरकार देश के हर क्षैत्र को सडक़ सुविधा से जोडऩे के बड़े बड़े दावे कर रही है, लेकिन झाबुआ जिले की नंबर 1 तहसील का दर्जा प्राप्त खुद पेटलावद में इन दावों की पोल खुलती नजर आ रही है। आधुनिकता के इस दौर में भी पेटलावद की जनता आज भी कई जगह सडक़ सुविधा से वंचित है। हालात यह है कि जो सडक़ 1 साल पहले बन जाना थी उसके अभी तक कोई अते-पते नही है और जनता है कि इस जटिल समस्या से अभी तक जूझने को मजबूर है। पिछले दो साल से कार्य कछुआ गति से चल रहा हैै।
मामला है लोकनिर्माण विभाग द्वारा बनाई जाने वाली दुल्लाखेड़ी से पेटलावद कालेज तक सडक़ निर्माण का। दरअसल, पेटलावद पुल से दुल्लाखेड़ी को मिलाने के लिए 115.71 लाख की लाख से बनने वाली इस 1.94 किमी सडक़ का कार्य दो वर्ष पहले ही हो गया था। जिसमें 31 मई 2018 को अंचेरा कंट्रक्शन कंपनी इंदौर को पूरा करना था, लेकिन ठेकेदार की लापरवाही के कारण आज एक साल बीतने के बाद भी यह सडक़ अधूरी की अधूरी ही है।
आसपास के किसानो के है खेत, उठा रहे परेशानिया-
आम जनता की समस्या के प्रति प्रशासन बिल्कुल भी गंभीर नही है। जिसका एक उदाहरण है यह अधूरी सडक़। स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक इस सडक़ का निर्माण दो साल पहले शुरू हुआ था लेकिन निर्माण कंपनी ने काम को तेज गति से नहीं किया, नतीजतन न तो सडक़ बन बन पाई और न ही रास्ते में बनने वाली पुलिया निर्माण पूरा हो सका। उल्लैखनीय है कि इस इलाके में पेटलावद सहित दुल्लाखेड़ी के किसानो के खेत है, उन्हें आने-जाने में काफी दिक्कतो का सामना करना पड़ रहा है। मार्ग पर केवल गिट्टी बिछा दी गई, लेकिन उसके बाद ठेकेदार ने काम क्यो बंद कर दिया, इसका कारण आज तक नही चल पाया। वहीं विभागीय अधिकारियो ने भी अपनी उदासीनता का खुला परिचय इस निर्माण कार्य में देरी को लेकर दिया है। अधिकारियो ने इस ओर ध्यान देना तक उचित नही समझा। जिसका नतीजा आज जनता भुगत रही है।
कई जगह विवादित मोड़, जिससे अटका काम-
इस सडक़ के अभी तक नही बनने की एक बड़ी वजह यह भी सामने आ रही है कि ठेकेदार ने जिस तरफ खुली सरकारी जगह थी उस तरफ न तो सडक़ की लंबाई-चौड़ाई न लेते हुए किसानो के जमीन से ले ली, जिसके कारण किसानो ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री हेल्पलाईन से लेकर हर जगह की। यही नही जो पुल सीधे बनने थे, उसे घुमा दिया गया और गुणवत्ताहीन बनाए गए। जब से इस सडक़ का निर्माण कार्य शुरू हुआ तभी से ही यहां विवाद किसी न किसी कारण से होते रहे। यही वजह है कि जो सडक़ एक वर्ष पहले बन जाना थी वह अभी तक अपने बनने की राह जोह रही है।
मापदंडो के अनुरूप नही हो रहा कार्य-
ग्रामीणो का आरोप है कि सडक़ में घटिया निर्माण व मापदंडो के अनुरूप कार्य नही हो रहा है। कई बार शिकायते करने पर भी किसी ने नही सुनी। सरकार और विभाग की नाकामी के कारण आज तक सडक़ नही बन पार्ई है। ठेकेदार की सुस्त कार्यप्रणाली के चलते आसपास के किसान परेशानियां झेल रहे है। ग्रामीणो की मांग है कि जल्द से जल्द इस सडक़ को बनाया जाए।

जिम्मेदारो के जवाब भी पढिए- 

मेरा तबादला हो गया है। जहां तक जानकारी है भुगतान के अभाव में ठेकेदार ने कार्य बंद किया हुआ था।
-गिरीश कुमार बंसल, पूर्व एसडीओ लोनिवि पेटलावद।
मेने एक दिन पूर्व ही पदभार ग्रहण किया है। आज से सभी नए पुराने मार्गो को देख रही हु। ठेकेदार ने कार्य क्यो बंद किया है दिखवाती हु।
-रेशम गामड़, एसडीओ लोनिवि पेटलावद।

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