आरोयुक्त जल योजना में ठेकेदार की मनमानी से नागरिकों में संशय की स्थिति बरकरार

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 सलमान शैख़@पेटलावद

सरकार के द्वारा कराये जा रहे विकास कार्यो में ठेकेदार ही खलनायक बनकर सरकार/एमएलए/मंत्रियों की जनता के बीच में जमकर छिछालेदारी करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
शहर में डल रही आरोयुक्त पेयजल पाईप लाइन की खुदाई जनता के लिए मुसीबत बनी हुई है। हालात यह हैं कि घरों के सामने मनमर्जी की खुदाई से पैदल चलने में भी दिक्कत हो रही है। जानकारों का कहना है कि लाइन डालने का ठेका देने के बाद विभाग ओर नपं के जिम्मेदार अफसरों ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। इससे ठेकेदार ने मनमर्जी से एक साथ सडक़े खुदवा दी और लाइन डालना शुरु कर दिया। वहीं अफसरो का कहना है कि यह पूरा ठेका पीआईयु से हुआ है, जो भी होगा सभी वहीं से होगा।
बता दे कि मुख्यमंत्री पेयजल योजना के तहत नगर परिषद शहर में आरओ पाईप लाइन डलवा रही है। इसके लिए मप्र अर्बन डेवलपमेंट प्रालि द्वारा पीसी स्नेहल कंट्रक्शन कंपनी को 39 किलोमीटर लंबी लाइन डालने का 20.28 करोड़ रुपए में ठेका दिया है। इसमें शहर के मुख्य मार्ग की सडक़ों के अलावा गलियां और छोटी-छोटी सडक़े भी शामिल थीं।
निर्माणकर्ता कंपनी ने पिछले 9 माह में नगर के अधिकतर वार्डों में खुदाई कर पाइप डाल दिए। लेकिन इसकी मरम्मत नहीं की जा रही है। कई स्थानों पर गड्ढों में लोग गिर रहे हैं। कंपनी के ठेकेदार ने अप्रैल 2017 से ठेकेदार ने काम शुरु कर दिया था। वर्ष 2020 तक काम पूरा करना है। हालात यह हैं कि अभी कुल कार्य का ४0 प्रतिशत भी काम नहीं हुआ है। इसके चलते समय-सीमा में काम पूरा होना संभव दिखाई नहीं दे रहा है। हालाकि नपं के इंजीनियर राकेश बैनल का कहना है कि शहर में पाईप लाइन का 70 प्रतिशत सडक़ों की खुदाई के बाद उनमें पाइप लाइन डालकर सडक़ के गढ्डे कंपनी के द्वारा भर दिए गए हैं लेकिन उस पर स्थाई रूप से कार्य होना बाकी है।
बगैर प्लानिंग के शुरु किया काम:
रहवासी मेहताबसिंह डोडिया, अमित शुक्ला, गोपाल गेहलोत, राजू पडिय़ार, मुकेश परमार का कहना है कि नपा ने बगैर किसी प्लान के काम शुरु करवा दिया। इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। जब शहर में खुदाई होनी थी तो ठेकेदार के साथ बैठकर प्लान तैयार करना था। उसे बताना था कि वह एक-एक वार्ड या निश्चित स्थान खोदकर पाइल लाइन डाले। वहां काम पूरा करने के बाद वह आगे शुरु करे, उदासिनता के कारण ऐसा हो नहीं सका। ठेकेदार अपनी मर्जी से कार्य शुरु किया। वर्तमान में जनता को रोज परेशानी से दो चार होना पड़ रहा है। हालात यह हैं कि पिछले साल बारिश में कीचड से जनता परेशान हुई। ठंड में धूल और अब गर्मी में भी धूल और गढ्डे परेशानी का कारण बने हुए हैं।
मौके पर नहीं पहुंचे अधिकारी:
लोगो ने कहा कि हम भी चाहते हैं लोगों को पर्याप्त पेयजल मिले लेकिन यह कार्य व्यवस्थित तरीके से हो। खुदाई का कार्य और सडक़ संधारण का कार्य एक साथ चलते जाए तो समस्या नहीं होगी। अन्यथा लोगों को परेशानी होती रहेगी। वार्डवासियों ने बताया कि सडक़ों की खुदाई के कारण मार्ग अवरुद्ध हो गया है। कहीं पर सडक़ों को संधारण नहीं किय गया है और अगर किया भी गया है तो सिर्फ खानापूर्ती की गई है। खुदाई से पहले वाली सडक़ किसी भी वार्ड में लोगों को नहीं मिली है। इसकी वजह है परिषद के पास प्लानिंग न होना। ठेकेदार जहां पर मर्जी वहां पर खुदाई किये जा रहे हैं।
ठेकेदार के प्रति दरियादिली क्यो..?
ठेकेदार लगातार शहर में मनमानी चला रहा है, लेकिन फिर भी परिषद की उसके प्रति इतनी दरियादिली आखिर क्यों..? न तो ठेकेदार को कोई निर्देश दिए गए है और न ही कोई कार्यवाही की गई। यहाँ तक परिषद ने ठेकेदार को नोटिस भी देना उचित नही समझा, जिसके कारण ठेकेदार परिषद की गोद मे बैठकर मनमानी पर उतारू है।
जो सडक़े बनाई अब वापस खोदी जा रही:
पाइप लाइन बिछाने में गड़बड़ी की शिकायत सामने आई है। नगर परिषद द्वारा जिन सडक़ों को लाखों रुपए खर्चकर सीमेंटीकृत कराया गया है, उन्हें अब खोदकर आरोयुक्त पेयजल पाइप लाइन बिछाई जा रही है। खास बात यह है कि पाइप लाइन बिछाने वाली ठेका कंपनी से इन सडक़ों की मरम्मत भी कराई जाना है, लेकिन सडक़ों की मरम्मत के नाम पर गड्ढों में मुरुम व कांक्रीट के टुकड़े भरकर छोड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री पेयजल योजना के तहत शहर के करीब 50 साल पुरानी पाइप लाइन को बदलने के साथ 39 किमी पाइप लाइन बिछाई जानी है। इस राशि से पाइप लाइन के लिए खुदाई के साथ खोदे गए जगहों की मरम्मत का काम भी शामिल है, लेकिन परिषद के अफसरों की अनदेखी के कारण ठेका कंपनी सडक़ों की खुदाई तो कर रही है, लेकिन गड्ढों को भरने में लापरवाही की जा रही है।
पेयजल की टूट रही लाइन:
एक ओर रास्तों पर तो परेशनी हो ही रही है। वहीं लापरवाही ऐसी की अब पाइप लाइन टुटने से नगर की पेयजल व्यवस्था गड़बड़ाने लगी है। लोगों का कहना है कि खुदाई के दौरान नपं या ठेकेदार का कोई जिम्मेदार अफसर मौजूद नहीं रहता। मजदूरों के भरोसे जेसीबी और सीसीरोड ब्रेकर मशीन से सडक़ खोदी जाती है।
नहीं हो रही मॉनिटरिंग:
नगर परिषद के अधिकारियों से लेकर कर्मचारी न जाने कहां व्यस्त हैं। इसके चलते पाइप लाइन बिछाने के काम की मॉनिटरिंग नहीं हो रही, जिसके कारण ठेकेदार अपनी मनमर्जी से कार्य कर रहा है और इसका खामियाजा नगरवासियो को भुगतना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओ को हो रही है। घर के बाहर उड़ रहे धुल के गुबार अंदर पहुंच रहे है।
गड्ढे में भी खेल की शिकायत:
पाइप बिछाने के लिए खोदे जा रहे गड्ढ़ों को लेकर शिकायत आई है। टेंडर शर्त के मुताबिक पाइप कम से कम एक मीटर गहरा खोदकर बिछाई जानी है, लेकिन अधिकतर जगहों पर एक से डेढ़ फीट में ही पाइप लाइन डालकर खानापूर्ति की जा रही है और पाइप लाइन बिछाने के बाद सडक़ को मिट्टी डालकर छोड़ दिया गया। मिट्टी खोदी गई सडक़ पर डाल दी गई। उडती धूल के कारण लोगों को पानी का छिडक़ाव करना पड़ रहा है।
बड़ा सवाल-मुख्य लाइन डलने तक कैसे होगी टेस्टिंग..?:
नई नल-जल योजना के लिए पाइप लाइन डालने वाले ठेकेदार ने काम में लापरवाही बरती है। कंपनी के ठेकेदार टेस्टिंग के बाद सडक़ मरम्मत की बात कह रहे है। लेकिन अभी वार्डों में ही काम पूरा नहीं हुआ है। मुख्य पाइप लाइन डलने तक इसका इंतजार करना पड़ेगा। कंपनी को जल्द काम पूरा करना चाहिए। इस बारे में कई बार नप को जानकारी भी दी। बावजूद उसके ठेकेदार के कान पर जूं तक नही रेंगी।
कंपनी के कांट्रेक्टर का टालमटोल जवाब:
– इस मामले में कंपनी के कांट्रेक्टर अंकित कुमार का कहना है कि आरोयुक्त पेयजल के लिए जहां खुदाई होकर पाइप लाइन डल चुकी है। वहां जल्दी से जल्दी मरम्मत का कार्य कराया जाएगा। इसके अलावा जिन क्षेत्रों में खुदाई जारी है, वहां पाइप डालने और टेस्टिंग के बाद मरम्मत की जाएगी।

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