आचार्य भिक्षु का जीवन एक घटना सत्य के प्रकाश की किरण बन कर चमक रही है : प्रबलयशाजी

May

पेटलावद। आचार्य भिक्षु ने पवित्र लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पवित्र साधन का उपयोग ही स्वीकार किया उनका पूरा जीवन सत्य की खोज की गाथा है। अंधकार से उठकर ज्योति तक पहुंचने की हकीकत है। उक्त आशय के उदगार जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें अनुशास्ता आचार्य महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी प्रबलयशाजी ने 253वे तेरापंथ स्थापना दिवस पर डालिम विहार में उपस्थित श्रावक श्राविकाओं के समक्ष व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आचार्य भिक्षु के जीवन के इतिहास को पढ़े तो लगेगा की उनके जीवन की एक एक घटना सत्य के प्रकाश की किरण बन कर चमक रही है. उन्होंने भविष्यदृष्टा ऋ षि की तरह धर्मसंघ में मर्यादाओं का निर्माण कर द्रव्य क्षेत्र काल और भाव के आधार पर अपेक्षित परिवर्तन,संशोधन या नई मर्यादा निर्माण का अधिकार भावी आचार्यों को दिया। आपने तेरापंथ की प्रमुख 5 मौलिक मर्यादाएं बताई। सर्व साधु साध्वियों का एक आचार्य की आज्ञा में रहे विहार चातुर्मास आचार्य की आज्ञा से करें। अपने अपने शिष्य शिष्याएं न बनाए,आचार्य भी योग्य व्यक्ति को दीक्षित करे। दीक्षित करने पर भी अयोग्य निकले तो उसे संघ से मुक्त कर दे। आचार्य अपने जिस शिष्य या गुरूभाई को अपना उत्तराधिकारी चुने उसे सब साधु साध्वियां हर्ष से स्वीकार करे।
संकल्प ग्रहण किए-
गुरू पूर्णिमा के पवित्र अवसर पर उपस्थित छोटे बच्चों ने साध्वीश्री द्वारा विभिन्न संकल्प ग्रहण किए और नशामुक्ति पवित्र व सतसंस्कारी बनने का संकल्प ग्रहण किया. इस संदर्भ में साध्वी ने कहा कि नमस्कार महामंत्र एक असाम्प्रदायिक मंत्र है। इसमें किसी व्यक्ति नहीं वरन गुण संपन्न आत्माओं को नमन किया गया है। इससे विधिवत जप से सत्संस्कारों का जागरण, प्रतिरोधात्मक शक्ति का विकास और इसके जप से आभा मंडल पवित्र बनता है. तेरापंथ युवक परिषद द्वारा बच्चों को किट भेंट की गई। इस अवसर पर साध्वी सौरभयशाजी और साध्वी सुयशप्रभाजी ने गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी सुयशप्रभाजी ने किया। मंगलाचरण कन्यामंडल, ज्ञानशाला के बच्चों ने हम बच्चे है होनहार, करे जय जिनेंद्र का सदा प्रयोग, रोचक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष झमकलाल भंडारी,नप अध्यक्ष संगीता भंडारी, मीनाजी मेहता, तेयुप के मंत्री राजेश वोरा ने भी अपनी भावनाएं व्यक्त की। इससे पूर्व जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा के निर्देशानुसार अनुशासन रैली नगर के मुख्य मार्ग से होती हुए कार्यक्रम स्थल पहुंची, जिसमें सभी श्रावक श्राविकाएं गणवेश में शामिल हुए। ज्ञानशाला के बच्चों ने तेरापंथ के 11आचार्यो के रूप बनाकर सांस्कृतिक प्रस्तुति दी।