व्यापारी को किसानो के आगे टेकना पड़े घुटने; वीडियो में देखे…किसान यूनियन ऐसे दिलाई किसानो को जीत …

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सलमान शेख@ पेटलावद
आखिर एक बार फिर किसानो की जीत हुर्ई और उन्हें उनकी मेहनत की कमाई मिल ही गई। किसान अपनी पूंजी मिलने से खुश थे वहीं जिन्होनें उनकी कमाई पर अपनी काली नजर डाली थी उन्हें आखिर में किसानो की एकता के आगे अपने घुटने टेकने पड़े। आपको बता दे कि झाबुआ Live ने इस मामले को लेकर एक समाचार प्रकाशित किया था, इसी समाचार से किसानो को उनकी उपज की राशि दौबारा मिल सकी।
जी हां, पिछले तीन दिनो पहले यानि 1 अगस्त को फिर एक बार व्यापारी की काली करतूत को ग्राम देदला के किसानो ने उजागर किया था। जिसमें थांदला के व्यापारी प्रवीण राठौड़ द्वारा उनकी उपज खरीदने के बाद उपज के बन रहे रूपए पिछले तीन महिनो से नही दिए जाने की बात सामने आई थी। इसके बाद भारतीय किसान यूनियन ने हर बार की तरह इस बार भी किसानो के हित की आवाज उठाई और जो व्यापारी पिछले 3 महिनो से इन भोलेभाले किसानो को अपनी उपज की कमाई के लिए चक्कर लगवा रहा था उसे मात्र 3 दिनो के भीतर ही इन किसानो को ब्याज सहित राशि लौटानी पड़ी।
इन किसानो के इतने रूपए थे बकाया-
व्यापारी प्रवीण राठौड़ ने देदला के करीब 4 किसानो से गेहूं की फसल विगत मई माह में खरीदी थी, लेकिन अभी तक उसने फसल के पैसे किसानो को नही चुकाए। 2 हजार 100 रूपए प्रति क्विंटल के हिसाब से खीमा मैड़ा के 30 क्विंटल गेहूं जिसकी कीमत 63 हजार, पप्पू पिता रतन मैड़ा के 17 क्विंटल गेहूं जिसकी किमत 35 हजार 700, दिनेश पिता बाबू मैड़ा के करीब 17 क्विंटल गेहूं जिसकी कीत 35 हजार रूपए और अनिल पिता रमेश मैड़ा के 15 क्विंटल गेहूं व्यापारी प्रवीण ने खरीदी थी जिसकी कीमत 31 हजार 500 रूपए थी। यह सभी राशि ठगोरे व्यापारी प्रवीण राठौड़ ने किसानो को नही चुकाई थी और रोज आज-कल करते-करते इन किसानो को ठग रहा था।
किसान यूनियन की रही अहम भूमिका-
इस मुद्दे को आदिवासी अंचल में तेजी से उभरे भारतीय किसान यूनियन ने उठाकर उक्त व्यापारी को किसानो के सामने घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद शनिवार को दोपहर में उक्त व्यापारी ने अपने साथी व्यापारी के साथ इन चारो किसानो को उनकी उपज की राशि ब्याज सहित लौटा दी। अपनी खून-पसीने से कमाई हुई दौलत को पाकर सभी किसान खुश नजर आए। सभी किसानो ने झाबुआ Live का आभार माना और यह कहा कि किसानो की हक की आवाज को झाबुआ Live आगे भी इस तरह उठाता रहे। किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष महेंद्र हामड़ ने बताया उन्होनें किसानो को उनकी खून-पसीने की कमाई को उन्हें दिलाने के लिए अपनी जी-जान लगा दी, इसी का नतीजा रहा कि व्यापारी ने किसानो को उनकी उपज की पूरी राशि देने के लिए मजबूर होना पड़ा। किसान यूनियन के जिला महामंत्री जितेंद्र पाटीदार ने बताया आज फिर उन्हें किसानो को उनके हक का पैसा दिलाने में बहुत खुशी है। किसान दिन-रात मेहनत कर अपनी उपज को बड़ी करता है और बाद में हर बार उसे कोई न कोई चोट दे ही जाता है। किसान यूनियन हमेशा उनके साथ है जहां भी जिस समय भी किसानो को यूनियन की जरूरत होगी पूरी यूनियन उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहेगी।