तपस्या कर्म निर्जरा के लिए की जाती है-पूज्य संयत मुनिजी

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लोहित झामर, मेघनगर

धोका और नाहटा परिवार के लगभग सभी सदस्यों द्वारा पूज्य अणुवत्स ठाना 4 के सानिध्य में आत्मोत्थान चतुर्मास के अंतर्गत तपस्या की जा रही है जिसके चलते प्रीती मिथुन धोका एवं कु.दर्शना नाहटा ने 31 उपवास की दीर्घ तपस्या पूर्ण कर बुधवार को पारणा किया।

धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए पूज्य संयत मुनिजी एवं शुभेष मुनिजी ने तप के महत्व को समझते हुए बताया की उग्र तपस्या से मोक्ष की प्राप्ति होती है तप त्याग से प्रीत जरूरी है परन्तु जहाँ ममत्व होता है वहां तपस्या नही होती। जीव राग द्वेष घटायेगा तो आत्मोत्थान संभव है। राग द्वेष के बारे में समझाते हुए बताया की जो हमारे अनुकूल चले उससे हमे राग हो जाता है और जो प्रतिकूल चले उससे द्वेष दुनिया स्वार्थ की है जो देवता को भी स्वार्थ के लिये मानते है। 

श्री वर्धमान स्थानकवासी श्रावक संघ द्वारा 31 उपवास के तपस्वियों का संघ की भेंट एवं बाबुलाल लूणिया 8, महावीर  श्रीश्रीमाल 8 उपवास की बोली से बहुमान किया। अभिनन्दन पत्र एवं अन्य भेट में संघ द्वारा एवं स्व.सूरज बाई भेरूलाल झामर,प्रवीण अभय विजेंद्र सोनी परिवार द्वारा भेंट से सम्मान किया गया। जिसका लाभ दान राशी में सुरेशचंद्रजी धोका द्वारा तप अनुमोदना में  2100 रुपये की दान राशि एवं अमित भण्डारी के जन्मदिवस एवं माताश्री की तप अनुमोदना में 1100 की राशी प्रकाश भंडारी परिवार द्वारा दी गई प्रभावना  सुरेशचंद्र धोका परिवार द्वारा वितरित की गई। कार्यक्रम का संचालन विपुल धोका ने किया।

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