MP Election: आज रात प्रत्याशियों के लिए कयामत की रात, किस्मत चमकाने अपनाएंगे तरह-तरह के हथकंडे….

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डेस्क| झाबुआ Live
आज 18 मई की रात प्रत्याशियों के लिए कयामत की रात से कम नहीं होगी। लोकसभा चुनाव के लिए कल शुक्रवार शाम को पांच बजे प्रचार पूरी तरह थम गया। इसके साथ ही प्रत्याशियों ने अब डोर टू डोर संपर्क शुरू कर दिया। चुनाव प्रचार के लिए अब मुश्किल से 20 घंटे का वक्त ही रह गया है। क्योंकि कल सुबह 7 बजे से मतदान ही शुरू हो जाएंगे। मतदाता के मन की थाह लेकर उन्हें अपने पक्ष में करने के लिए प्रत्याशियों ने अलग-अलग रणनीतियां और टीमें बना रखी हैं। पार्टियों के हर छोटे-बड़े नेता अब इस कोशिश में जुट गए हैं कि किसी तरह वोट उनके पक्ष में पड़े।
जनहित से दूर हुई राजनीति में लोगों की घटती रूचि के कारण कम मतदान से भयभीत नेताओं ने इस मुश्किल से निपटने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में मौजूद बेरोजगार वोटरों को पिलाने का जबरदस्त अभियान चला रखा है और संभवत इसका असर भी हो रहा है।
इसके कारणों को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं? पर अंदरूनी क्षेत्रों का जायजा लेने से साफ जाहिर होता है कि बेहतर सुरक्षा इंतजामों के साथ ही साथ धन और बाहुबल से समर्थ उम्मीदवारों की कृपा से बेहिसाब बंट रही शराब की भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है।
किस्मत चमकाने तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे प्रत्याशी:
अगली सुबह के सूरज के साथ अपनी किस्मत चमकाने पूरी रात प्रत्याशियों व उनके समर्थकों को रतजगा करना होगा। पूरी रात प्रचार प्रसार में प्रत्याशी बिता देगे।
मतदान के एक रात पहले शराब, मांस एवं मदिरा सहित अन्य सामग्रियां बांटे जाने की संभावना अधिक होती है। इस रात मतदाताओं को रिझाने की कोशिश शबाब पर होता है। इस बात को निर्वाचन आयोग भी भलीभांति जानता है। लिहाजा जिला निर्वाचन आयोग द्वारा गठित फ्लाइंग स्चयड के अधिकारी कर्मचारी पूरी रात चौकसी करेंगे। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर जहां बनाएं गए बेरियर की जांच मुस्तैदी से की जा रही है। वहीं पैट्रोलिंग पार्टी भी सर्चिंग पर रहेगी। शांतिपूर्ण मतदान कराने को लेकर पूरी ताकत झोंक दी गई है। प्रलोभन देकर मतदान को प्रभावित न किया जा सके। इसकी तैयारियां की गई है। मुफ्त की शराब की खातिर गरीब ग्रामीण वोट देने आते हैं। मतदान के प्रतिशत को बढ़ाने का यह तरीका लोकतंत्र की जड़े खोदने वाला है।
लोगो ने कहा कि शराब की नदी बहा रहे हमारे नेताओं को विकास के नाम पर थोथी नारेबाजी बंद कर देनी चाहिए। उन्हें बेशर्मी के साथ अब यह नारा देना चाहिए कि शराब का बोलबाला लोकतंत्र का मुंह काला।
शराब वितरण का काम वैसे तो चुनाव अभियान के साथ ही शुरू है पर इसका चरम चुनाव के पहले वाली रात को होता है। इस दौरान सुदूर क्षेत्रों में बोरियों में भर कर शराब भेजी जाती है ताकि अगले दिन अपने पक्ष में (माहौल) बनाने में कुछ कमी न रह जाए। सभी दल एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं चाहे जो भी बांट रहा हो पर चुनाव के दौरान शराब खूब बंट रही है।
आखिरी दिन पैनी नजर
गौरतलब है कि मतदान के दिन से एक दिन पहले की रात उम्मीदवार अपने-अपने इलाकों की स्लम या झोंपडपट्टियों में मतदाताओं को न केवल पैसे बांटते हैं बल्कि शराब, बर्तन, साड़ियां, कंबल, साइकिल, आदि बांटते हैं, इसलिए पुलिस और चुनाव आयोग की टीम पैनी नजर रखे हुई है।