EXCLUSIVE: पेटलावद के 2 दर्जन से अधिक सटोरियो और बुकियो पर लगी पुलिस की मुखबिरी

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सलमान शैख़@ झाबुआ Live..
पेटलावद। पिछले 7 दिन पहले यानि शुक्रवार को पुलिस थाने में किसानो की उपज की राशि व्यापारी द्वारा नही दिए जाने का मामला सामने आया था। जिसमें अभी तक पुलिस ने मुख्य आरोपी सहित उसके पुत्र व एक अन्य आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। हालांकि 5 अन्य आरोपी अभी भी पुलिस गिरफ्त के बाहर है। इस मामले के सामने आने के बाद मुख्य आरोपी निर्मल कुमार मेहता ने पुलिस के समक्ष कई ऐसे बड़े खुलासे कर दिए, जिससे नगर के अवैध कार्य में लिप्त माफियाओ में हडक़ंप मच गया है, क्योकि अब पुलिस सट्टा कारोबार की पूरी तरह से कमर तोडऩे में जुट गई है। पुलिस ने गुपचुप तरीके से इन कारोबारियो की तजदीक शुरू कर दी है।
पुलिस सूत्रो का दावा है कि शहर में सबसे बड़ा सट्टा और हवाला कारोबार बड़े पैमाने पर संचालित किया जा रहा है। इस बात की पुुख्ता जानकारी पिछले दिनो किसानो की राशि नही लौटाने के बाद पकड़ में आए व्यापारी निर्मल मेहता ने पुलिस के समक्ष पूछताछ में अपने बयान में दी है। उसने पुलिस को किसानो को उनकी उपज की राशि नही लौटाने की सबसे बड़ी वजह पेटलावद के सटोरियो को बताया। उसका कहना था कि उसने सट्टे में सारी राशि लगा दी और वह हार गया, लेकिन जो राशि इन सटोरियो के पास जमा थी, वह इन सटोरियो ने निर्मल को नही लौटाई और उधर किसानो के फोन पर फोन आ रहे थे, तो उसके पास भागने के अलावा कोई रास्ता नही बचा।
अब पुलिस को मिला इन सटोरियो तक पहुंचने का रास्ता-

पुलिस के सामने निर्मल ने पेटलावद के कई ऐसे बड़े सटोरियो के नाम अपने बयान में लिए है। जो पहले तो खुद इस कार्य में लिप्त थे, लेकिन अब अपने अधिनस्थ चमचो से सट्टे का व्यापार चलवा रहे है, लेकिन अब पुलिस इन सटोरियो को पकडऩे में अपनी ऐढ़ी-चोटी का जोर लगा रही है। निर्मल ने जिन सटोरियो के नाम पुलिस को दिए उनमें से एक को गिरफ्तार कर किसान धोखाधड़ी मामले में सहआरोपी बनाकर मुख्य आरोपी निर्मल मेहता और पुत्र वैभव मेहता के साथ कोर्ट में पेश करने के बाद न्यायाधीश के आदेश को मानते हुए जेल भेज दिया गया। पुलिस ने तीन अन्य सटोरियों अभिषेक पटवा उर्फ पम्पम पटवा, मनीष पटवा और अनुपम पटवा को भी सहआरोपी बनाया है, लेकिन यह तीनो भी दो अन्य मुख्य आरोपी नीलकमल मेहता और बामनिया के अशोक पटवा के जैसे दुम दबाकर रफूचक्कर हो गए। अब बड़ा सवाल यह है कि अगर ये निर्दोष है तो भाग क्यो रहे है, जबसे इनके नाम इस मामले में शामिल हुए है तभी से यह सभी फरार हो गए है। ऐसे में पुलिस का शक इनके ऊपर ओर ज्यादा बढ़ गया।

इनकी बनाई गई है लिस्ट-
शहर में सक्रिय पुराने सट्टा कारोबारी सहित अन्य आसपास के जिले की पुलिस से भी संपर्क कर सट्टेबाजो व उनके बुकियो की जानकारी ली जा रही है। ऐसे करीब दो दर्जन से अधिक कई बड़े बुकी व सटोरियो की सूची तैयार की है। इन सभी पर पुलिस की नजर है।
झाबुआ Live के सूत्र बता रहे है कि इन सटोरियो को पकडऩे के लिए पुलिस मुखबीर की मदद ले रही है और सही समय का इंतजार कर रही है। बताया जा रहा है कि इस सट्टेबाजी के तार सीधे मुंबई, इंदौर, रतलाम, बड़ौदा, बदनावर, कुक्षी, उज्जैन जैसे कई बड़े शहरो से जुड़े हुए है। सबकुछ ठीक रहा तो पुलिस जल्द ही पेटलावद में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई कर सकती है।
ये सट्टे चलते है शहर में, लेकिन पुलिस को क्यो नही मिलती है सफलता.?
शहर में वायदा बाजार, मटका सट्टा, क्रिकेट सट्टा सहित कई प्रकार के सट्टे के कारोबार बड़े स्तर पर होते है। जिसमें प्रतिदिन करोड़ो की जीत-हार होती है। कई युवा इस दलदल में फंसकर लाखो रूपए खो देते है। वहीं कई गरीब मजदूर भी अपनी दिनभर की कमाई इस अवैध कारोबार में खो देते है। सबसे बड़ी बात यह है कि इतना सबकुछ पेटलावद शहर में चलने के बाद भी पुलिस को इन्हें पकडऩे में सफलता नही मिलती है ऐसा क्यो..? इसकी वजह यह है कि पुराने समय मे सट्टा पर्ची और रूबरू सटोरियो के पास पहुंचकर किया जाता था, जिसमें पुलिस को इन्हें पकडऩे में आसानी रहती थी, लेकिन आज के आधुनिक युग में टैक्नालोजी ने इन अवैध कारोबारियो की मदद करने का काम किया है। ये सटोरिए अब कहीं गुप्त जगहो पर, खेत पर, तो कहीं बड़े मकानो में बैठकर इस प्रकार का व्यवसाय करते है, जिसके कारण पुलिस की मुखबीरी इन तक नही पहुंच पाती है। सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि पेटलावद में दूसरे जिले के जिलाबदर सटोरिए एजेंटो के माध्यम से सट्टा व्यापार कर रहे है और पुलिस के हाथ आज तक खाली है।

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