Top

EXCLUSIVE: आज भी कुपोषण की मार, इन गांवों में मिले 5 कुपोषित बच्चे, 2 अतिकुपोषित

0

सलमान शैख़@ झाबुआ Live
पेटलावद। आदिवासी अंचल में कुपोषण का दंश दूर होने का नाम ही नही ले रहा है। सरकारी योजनाओ और सुधार के दावो के बीच वनांचल में कुपोषण पर काबू नही पा सका है। ग्रामीण क्षैत्रो में लगातार अतिकुपोषित बच्चे सामने आ रहे है। शासन द्वारा इन बच्चो के सर्वांगीण विकास के लिए करोड़ो रूपए खर्च किए जा रहे है, लेकिन शासन-प्रशासन के फैले भष्टाचार के कारण योजनाओ का लाभ बच्चो को नही मिल पा रहा है।
यही कारण है कि जिले के पेटलावद विकासखण्ड के ग्राम बरवेट में 5 बच्चे कपोषण के शिकार मिले है, जिसमें दो बच्चे अतिकुपोषित पाए गए है। अंचल में कुपोषण की स्थिति बने रहना राजनेताओ और अधिकारियो की जिम्मेदारियो पर सवाल खड़े करती है। इन कुपोषित बच्चो का चयनित कर पोषण पुर्नवास केंद्र के लिए रेफर तो कर दिया, लेकिन अभी तक वह वहां पहुंचे नही है, इसका कारण है कि खुद परिजन उन्हें वहां तक लेकर नही पहुंचे है, क्योकि उनमें जागरूकता की कमी है और इसकी वजह नेताओ और अधिकारियो द्वारा कुपोषण के प्रति उदासीन रवैया है।
*रेफर करने का कारण, यह बीमारी पाई गई बच्चो में-*
दरअसल, कुपोषण नियंत्रित करने के लिये स्वास्थ्य एवं महिला-बाल विकास विभाग की ओर से इन दिनो दस्तक अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में आशा और आँगनवाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम संयुक्त रूप से घर-घर जाकर 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों के पोषण की जानकारी इकठ्ठा कर रही है। इसके तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता घर-घर पहुंचकर बच्चो को चयनित कर रही है। इसी के तहत बरवेट में भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पहुंची थी, यहां विजय पिता राजू मुणिया निवासी मोहड़ीपाड़ाकला, नीषा पिता नानुराम निवासी बरवेट टोड़ी फलिया, राधिका पिता पुनमचंद निवासी बरवेट, किशु पिता प्रहलाद निवासी बरवेट, प्रेम पिता गोपाल निवासी मोटापाला में गंभीर निमोनिया पाया गया था। इन बच्चो में राधिका और नीषा अतिकुपोषित बच्चीयां थी। इसके बाद उन्हें पेटलावद पोषण पुर्नवास केंद्र पर रेफर कर दिया गया था, लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि परिजन इन बच्चो को वहां अभी तक लेकर नही पहुंचे है।
*कुपोषण में सबसे बड़ी बाधा-*
अशिक्षा, अंधविश्वास कुपोषण मिटाने में सबसे बड़ी बाधा है। वनांचल के आदिवासी लोग अंधविश्वास की वजह से पारंपरिक तरीके से इलाज पर विश्वास रखते है। वे पढ़े-लिखे नही होते है। इस कारण बच्चो को इलाज के बजाए पडिहारो के पास ले जाते है। कई बार देखने में आया है कि दूरस्थ अंचलो में जागरूकता के अभाव में माता-पिता बच्चे का उचित इलाज न करवाकर झाड़-फूंक में लगे रहते है, जिससे स्थिति गंभीर हो जाती है।
*हम सभी जांच करकर करेंगे बच्चो की देखरेख-*
इस संबंध में स्वास्थ्य केंद्र की बीएमओ डॉ. उर्मिला चोयल से चर्चा की गई तो उन्होने बताया बरवेट में कुपोषित बच्चो की सूचना मिली है मै मामले को दिखवा लेती हूं। अगर बच्चो में खून की कमी होगी तो बोतल लगाई जाएगी, बच्चो को केंद्र तक लाने की जवाबदेही आशा कार्यकर्ता और एनएम की है। वह यहां लाकर भर्ती कराए, उसके बाद हम उसकी देखरेख करक उसकी सभी जांचे करेंगे।
*कुपोषण को मिटाने हम प्रयासरत है-*
इस संबंध में महिला एवं बाल विकास अधिकारी इशिता मसानिया से चर्चा की गई तो उन्होने बताया मेरे द्वारा सुपरवाईजर को अवगत करा दिया गया है। हम ऐसे बच्चो की देखरेख के लिए लगातार प्रयास कर रहे है। आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ को इस संबंध में निर्देश दिए है कि वह अतिकम वजनी बच्चो का चयन कर उन्हें खान-पान में विशेष ध्यान दे और प्रोटीन युक्त खाना दे। ताकि कुपोषण जैसी बीमारी बच्चे मे नही हो पाए।

विशेष सहयोगी: जगदीश प्रजापत/बरवेट

Leave A Reply

Your email address will not be published.