10 माह पूर्व विद्युत मीटर लगाने जमा किए थे 7500 रुपए, कर्मचारियों ने मीटर लगाने की बजाए सीधे दे दिया कनेक्शन, अधिकारी पहुंचे और काट दिया

अशोक बलसोरा@झाबुआ लाइव 

पारा विद्युत कंपनी के कर्मचारी-अधिकारी यहां पर अवैध रूप से कनेक्शन धारी को विद्युत सप्लाई कैसे दे रहे हैं यह हमने पहले पार्ट में आपको बताया था। उसी बात का प्रमाणित उदाहरण आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि यहां पर किस तरह से आपसी मिली भगत के चलते कई अवैध विद्युत कनेक्शन संचालित किए जा रहे हैं। वहीं कर्मचारी एवं अधिकारियों की आर्थिक सहानुभूति के चलते हैं किस तरह से सीधे पोल से हेकड़ी डालकर निर्बाध रूप से विद्युत प्रदाय हो रही है। 

इसका उदाहरण पारा विद्युत मंडल में देखा जा सकता है। हमने पूर्व में भी बताया था कि यहां पर सैकड़ो की तादात में क्षेत्र में अवैध विद्युत कनेक्शन निर्बाध रूप से आपसी सहमति से संचालित हो रहे हैं। यदि ऐसा नहीं तो फिर यह कनेक्शन कैसे खुलेआम तारों पर हेकड़ी डालकर उपभोक्ताओं के द्वारा चलाए जा रहे हैं। इस पर जिम्मेदार कर्मचारियों  अधिकारी क्यों ऑब्जेक्शन नहीं लेते हैं क्यों इन्हें नजरअंदाज किया जाता है। यहां पर हम आपको अवगत कराना चाहते हैं कि पर ग्राम पचायत के पीछे एक विद्युत कनेक्शन लेने हेतु जितेंद्र प्रजापति नाम के व्यक्ति ने 10 माह पूर्व 7500 रुपए विद्युत मीटर लेने के लिए जमा करवाए थे लेकिन आज तक विद्युत मीटर तो नहीं लगा लेकिन उन्हें पोल से केवल उतार कर डायरेक्ट विद्युत उपलब्ध करा दी थी। उपभोक्ता के द्वारा बार-बार पूछे जाने पर कि आप मीटर कब लगेगा तो उनका कहना था कि आप तो लाइट चल रही है मीटर से क्या लेना देना तो फिर उसने बिल के बारे में पूछा तो उक्त कर्मचारी का कहना था कि अभी तो आप चलाओ लग जाएगा तो बिल भी आएगा। ऐसा कई बार उसे उपभोक्ता के द्वारा पूछा गया लेकिन 10 माह तक मीटर नहीं लगा। 

जब जिला लेवल से वरिष्ठ अधिकारी आए तो उन्होंने सोमवार को बिना बताए जितेन प्रजापत के घर की विद्युत सप्लाई काट दी। जब उसने ऑफिस पर जाकर बताया तो उनका कहना था कि आप पैसे भरकर मीटर लगवाओ तब जितेन के द्वारा कहा गया कि मैं 10 माह पूर्व मीटर लगाने के लिए 7500  रुपए पिटवा सर को जमा करवाए थे। इस पर अधिकारी का कहना है कि आपने रसीद ली थी क्या तब तब जितेन के द्वारा कहा गया कि मैंने कई बार उनसे कहा लेकिन उन्होंने कहा कि दे देंगे। 

तो इस तरीके से हमने जो पूर्व में कर्मचारियों के मिली भगत की एक खबर प्रकाशित की थी उसका यह एक जीता जागता उदाहरण है। ऐसे आज भी कई अवैध कनेक्शन कर्मचारियों अधिकारियों के मिली भगत से पारा क्षेत्र में संचालित हो रहे हैं। लेकिन जिम्मेदार लोग आर्थिक सहानुभूति के चलते उन्हें नजर अंदाज करते जा रहे हैं झाबुआ लाइव की टीम के पास आज भी ऐसे कई पुक्त सबूत है की क्षेत्र में आज भी बड़ी मात्रा में सीधा हेकड़ी डालकर डायरेक्ट कनेक्शन संचालित किया जा रहे हैं। वहीं यह भी ग्रामीणों का कहना है कि अस्थाई कनेक्शन के लिए हम बात करते हैं तो उन्हें पैसे लेकर डायरेक्ट कनेक्शन चलाने की सलाह दी जाती है लेकिन  ना ही उन्हें कोई रसीद मिलती है और ना ही लीगल रूप से उन्हें कनेक्शन दिया   जाता है। आखिर इस प्रकार का यह खेल विद्युत कंपनी को भी नुकसान पहुंचा रहा है और वहीं सरकार को राजस्व का भी नुकसान हो रहा है आखिर कब जागेंगे वरिष्ठ जिम्मेदार अधिकारी क्या ऐसे अवैध कनेक्शन धारी पर कार्रवाई होगी क्या जिनकी आर्थिक  सहानुभूति से यह कनेक्शन संचालित होते रहेंगे। क्या उन कर्मचारियों पर कार्रवाई होगी यह एक देखने एवं विचारणीय प्रश्न है। इस प्रकार के डायरेक्ट कनेक्शन लेने पर जान माल की जोखिम का भी खतरा हमेशा बना रहता है इसका जिम्मेदार भी आखिर कौन होगा यह जिम्मेदारी कौन तय करेगा या फिर किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार करेंगे।

पीड़ित उपभोक्ता जितेंद्र प्रजापत का कहना है कि मैं 10 महापूर्व क्षेत्र के विद्युत कर्मचारी पिटवा सर को 7500 रुपए नगद जमा किए थे। कई बार पूछे जाने पर और रसीद की मांग करने पर उनके द्वारा कहा जाता है कि अभी तो आपका काम चल रहा है वह चलाओ लेकिन जब लाइट काटने के बाद वह कार्यालय पहुंचता है तो उसे फिर से पैसा जमा करने की बात कही जाती है।

मामले में जब बिजली कंपनी के एसई डीएस चौहान से बात की गई तो उन्होंने कहा मेरे संज्ञान में नहीं हैञ यदि ऐसा कुछ चल रहा हे तो मैं दिखवाता हूं, कार्रवाई की जाएगी। 

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