हम दुखी होते हैं उसमें जिम्मेदारी हमारी ही है- आचार्य रत्नसुंदर सुरी

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जितेंद्र राठौड़, झकनावदा
झकनावदा नगर में पद्मभूषण से सम्मानित परम पूज्य आचार्य विजय रत्नसुंदर सुरी जी महाराज साहब का मंगलवार शाम 7 बजे बैंडबाजों के साथ भव्य मंगल प्रवेश हुआ साथ ही पूज्यश्री को स्थानीय बस स्टैंड से होते हुए श्री आदिनाथ जैन मंदिर पर बैंड बाजों के साथ भव्य प्रवेश करवाया नगर में जगह-जगह समाजजनों ने गवली की । बुधवार को प्रातः 9 बजे आचार्य रत्नसुंदर सूरीजी के मुखारविंद से प्रवचन का भव्य आयोजन हुआ प्रवचन में आपने बताया कि हम जिस कारण से दुखी हैं वह कारण मानसिक है या वास्तविक वह तलाशने जैसा है हम दुखी होते हैं उसमें जिम्मेदारी हमारी ही है परिस्थिति की नहीं मोबाइल की तरह मन में भी सेव की व्यवस्था मौजूद है मन में हम क्या सेव करते हैं या हमारे भविष्य का निर्णय करेगा साथ ही आपने बताया मोबाइल में सेव हुई चीजें मोबाइल टूटने पर नष्ट हो जाती है किंतु मन में सेव किए हुए प्रसंग जीवन की समाप्ति के बाद भी हमारे साथ आते हैं गलत प्रसंगों को याद कर रखना या नहीं उसकी स्वतंत्रता जब हमारे ही हाथ में है फिर गलत प्रसंगों को याद हम क्यों रखते हैं मन में और मोबाइल में जब ज्यादा चीजें सेव होती है तब उसकी स्पीड कम हो जाती है इसलिए उसकी स्पीड जारी रखने जैसे हम मोबाइल में से अनावश्यक चीजें डिलीट कर देते हैं वैसे ही मन से गलत प्रसंगों को डिलीट कर के जीवन की गति बढ़ाएं सबसे पहले गलत सेव ही ना करें और यदि सेव हो ही जाता है तो समय स्थान और सहयोग जाते ही उसे डिलीट कर देना चाहिए।
आचार्य श्री रत्नसुंदर सूरी जी को श्रीसंघ ने उड़ाई कामली
प्रवचन के पूर्व सकल जैन श्रीसंघ द्वारा आचार्यश्री रत्नसुंदर सूरी जी को श्रीसंघ द्वारा कामली भेंट की गई साथ ही गुरु पूजन कर लाभ लिया।हंसी मजाक में बच्चों को मां बाप की सेवा कैसे करें वह आदर करना सिखाया, मुनिराज भाग्य सुंदर विजय जी महाराज साहब ने दोपहर में नन्हे-मुन्ने बच्चों का शिविर आयोजित कर उसमें बच्चों को पाठशाला जाने एवं धर्म के मार्ग पर चलने शिक्षा दी साथ ही नन्हे-मुन्ने बच्चों को हंसी मजाक के माध्यम से मां-बाप का कहना मानना एवं मां-बाप की इज्जत करना सिखाया।

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