राष्ट्रीय पक्षी मोर को लेकर जिम्मेदार अफसर उदासीन ; प्राचीन गढी बनी मोरों की शरणगाह लेकिन पेयजल की किल्लत

0

झाबुआ Live के लिए झकनावदा से “जितेन्द्र राठोड़ ” की रिपोर्ट ।

कुत्तो के हमले मे घायल मोर

मोर को भारत सरकार ने राष्ट्रीय पक्षी तो घोषित कर दिया लेकिन घोषित कर भुल गयी है तभी तो बहुतायत मे यह राष्ट्रीय पक्षी बदहाली का शिकार है पेटलावद तहसील के झकनावदा की बात करें तो यहाँ करीब 300 की संख्या मे मोर है जिन्होंने गांव की प्राचीनतम गढी को अपनी शरणगाह बना रखा है .. शरण तो इन्हे गढी में मिल गयी लेकिन इस भीषण गर्मी मे पानी की कमी से मोर परेशान है पानी की तलाश मे जब भी यह मोरें झकनावदा की सडकों के किनारों पर बनी नालियों मे बहने वाले गंदे पानी पर निर्भर है लेकिन उसमें भी दिक्कत यह है कि जब यह पानी पीने आती है तो कुत्ते इन पर हमला करते है अब तक बीते दो माह मे ही आठ से दस मोरें इन कुत्तो के हमले मे गंभीर रुप से घायल हो चुकी है । इन मोरों की बदहाली से चिंतित झकनावदा के ” विजय बहादुर सिंह ” कहते है कि प्रशाशन कम से कम मोरों के लिए पेयजल स्रोतों का ठोस इंतजाम तो कर ही सकता है ताकी कुत्तो से इनकी रक्षा हो सके ।

Leave A Reply

Your email address will not be published.