ये कैसा गवर्नेंस; 4 वर्षो में पहली बार किसानों के पास पहुंची बीमा पाॅलिसी; इसमे दोषी कौन …?

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सलमान शैख़@ झाबुआ Live
वर्ष 2016 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानो के लिए शुरू की गई महत्वाकांशी योजना फसल बीमा योजना के पश्चिमी मप्र के आदिवासी अंचल झाबुआ जिले में क्या स्थिति है, इसका पता आपको जिले के पेटलावद के किसानो को इन 4 वर्षो में पहली बार मिली पाॅलिसी से लग जाएगा। अब इसमे दोषी बीमा कम्पनी है या फिर सिस्टम में बैठे जिम्मेदार, यह बड़ा सवाल है। 
दरअसल, किसान इस योजना के तहत हर वर्ष अपनी फसल का बीमा करा रहे है, लेकिन उन्हें न तो पाॅलिसी दी गई और न ही किसी प्रकार का क्लेम दिया गया, यह हम नही पेटलावद के ग्राम बावड़ी के दर्जनो किसान बता रहे है। किसानो का कहना है कि गत खरीफ फसलो की बीमा पाॅलिसी उन्हें अब मिली है, लेकिन उनकी खराब फसलो का क्लेम न जाने कब मिलेगा। उनका कहना है कि जिले के अधिकारी जिले के आंकड़ो में 315 किसानो को अतिवृष्टि से खराब हुई खरीफ फसलो का क्लेम दिया गया है, लेकिन अधिकारी खुद बताए कि क्या यह सही है, क्या पूरे झाबुआ जिले में 315 ही किसान ऐसे थे, जिनकी फसले खराब हुई थी या फिर राजस्व द्वारा किया गया सर्वे गलत तरीके से किया गया, जिसके कारण हम किसानो की खराब फसलो का क्लेम हमें नही मिल पाया।
सीएम हेल्पलाईन पर की थी शिकायत-
गौरतलब है कि इसी फसल बीमा और सही सर्वे नहीं होने के कारण भारतीय किसान यूनियन ने दांडी यात्रा रामगढ़ से झाबुआ के लिए निकाली थी। दांडी यात्रा जिस दिन झाबुआ पहुंची थी उसी दिन तत्कालीन कलेक्टर द्वारा सर्वे टीम गठित की गई थी और किसानों की नुकसानी का आकलन भी किया गया था, लेकिन उसके बाद भी किसानो को क्लेम नही दिया गया। इसके बाद फसलो का क्लेम से वंचित रह गए क्षैत्र के किसानो को क्लेम दिलवाने के लिए भारतीय किसान यूनियन की ओर से जिला महामंत्री जितेंद्र पाटीदार ने एक शिकायत सीएम हेल्पलाईन पर की थी। इसके बाद कृषि अधिकारियो के वेतन वृद्धि तक रोक दी गई थी और फिर ग्राम बावड़ी किसानो से बात करने आई टीम को आक्रोशित किसानो के सामने लौटना पड़ा था। अब रविवार को किसानो को खरीफ सीजन की बीमा पाॅलिसी भेज दी गई।
आप खुद किसानो से ही समझिए उनकी पीढ़ा-
किसान नारायण पाटीदार द्वारा बताया गया कि हम जब से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू हुई है तब से फसल बीमा करवा रहे हैं लेकिन पहली बार हमें पॉलिसी दी गई है, यह समझ से परे है।
किसान विजयसिंह राठौर द्वारा पालिसी दिखाते हुए कहा कि पहली बार हमें फसल बीमा की पॉलिसी की रसीद मिली है अभी बीमा मिलना बाकी है आस लगाए बैठे हैं।।
किसान रामेश्वर पाटीदार कहते हैं मैंने भी फसल बीमा करवाया है जिस पर पहली बार मेरे घर पर फसल बीमा पॉलिसी भेजी गई है, क्या पता अब क्लेम मिलने में कितना समय लगेगा। हमें तो यह भी पता नही कि हमें क्लेम मिलेगा भी की नही।
किसान यूनियन के पदाधिकारी बोले-
भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष महेंद्र हामड़ ने बताया हम क्षैत्र के किसानो की लड़ाई हमेशा लड़ते आए है, मुझे जानकारी मिली है कि किसानो को फसल बीमा की पाॅलिसी भेजी गई है, लेकिन पाॅलिसी का किसान करेगा क्या, उसे खरीफ सीजन में खराब हुई फसलो का क्लेम चाहिए, अगर किसानो को उनकी खराब फसलो के क्लेम जल्द ही नही दिया गया तो एक उग्र आंदोलन झेलने के लिए शासन-प्रशासन तैयार रहे।
जिला महामंत्री जितेंद्र पाटीदार ने बताया मेरे पास किसान आए थे उन्होंने मुझे यूरिया, फसल बीमा और दूध के भाव को लेकर समस्या बताई थी उन्हीं समस्या को मैंने मुख्यमंत्री तक पहुंचाया था। उसी का नतीजा है कि अब जाकर उन्हें फसल बीमा योजना की पाॅलिसी भेजी गई, नही तो कितने ही सालो से इस योजना में किसान अपनी फसलो का बीमा करा रहे, लेकिन क्लेम तो दूर उन्हें पाॅलिसी तक नही पहुंचाई गई, तो सवाल यह है कि आखिर वह पालिसियां गई तो गई कहां।
तहसील अध्यक्ष ईश्वरलाल पाटीदार ने बताया क्या पूरे जिले में 315 ही किसानो की फसले अतिवृष्टि से खराब हुई थी, बाकि किसानो की फसल को कुछ नही हुआ। जिन 315 किसानो को इस योजना में क्लेम मिला है तो उनके नाम भी सार्वजनिक किए जाएं। हमें ग्राम सेवक हमें बोलते है कि हमने तो 70 प्रतिशत नुकसानी का आंकलन लिखकर दिया था, तो राजस्व अधिकारी ने कैसे 64 प्रतिशत उत्पादन की रिपोर्ट तैयार कर दी। कुल मिलाकर किसानो के साथ छलावा किया गया है। हम अब चुप नही बैठेंगे।