यह कैसा मूल्यांकन; बीए तृतीय वर्ष में समाजशास्त्र में विद्यार्थियों को मिले 1,2 व 5 अंक; DAVV की लापरवाही आई सामने …

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सलमान शैख़@ झाबुआ Live
पेटलावद। अब फिर से कॉलेज परीक्षा और मूल्यांकन के काम पर सवाल खड़े होने लगे हैं। विश्वविद्यालय द्वारा घोषित किए जा रहे परीक्षा परिणामों में लगातार गड़बड़ी के कारण छात्रों को मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
ताजा मामला पेटलावद के शासकीय महावीर महाविद्यालय में सामने आया है। दरअसल, यहां के बीए तृतीय वर्ष के नियमित व प्रायवेट करीब 50 से 60 छात्र-छात्राओं को समाजशास्त्र के द्वितीय प्रश्नपत्र के परिणाम में अनुपस्थित या 1 अंक, 2 अंक, 9 अंक दिए। जबकि छात्र-छात्राओं का कहना है उन्हें कम से कम 22 अंक तो मिलना चाहिए थे, लेकिन विश्विद्यालय की लापरवाही के कारण उन्हें इस परेशानी में डाल दिया गया।
अपनी इसी परेशानी को लेकर शुक्रवार को सभी छात्र-छात्राएं इकठ्ठे होकर एसडीएम आईएएस शिशिर गेमावत से मिले और एक ज्ञापन सौंपा। इसके बाद कॉलेज प्राचार्य को भी एक ज्ञापन उन्होंने सौंपा। ज्ञापन में उन्होंने बताया कि मात्र समाजशास्त्र के प्रश्नपत्र में ही उन्हें या तो कम अंक दिए गए या फिर उन्हें अनुत्तीर्ण कर दिया। यही नही जो नियमित विद्यार्थियों के सीसीई होती है उसमें भी कइयों को अनुपस्थित बता दिया। विद्यार्थियों का कहना है कि उनकी कोई सुनने को तैयार नही है, जिससे उन्हें मानसिक रूप से परेशान होना पड़ रहा है। जब वे महाविद्यालय में किसी से सम्पर्क करते है तो उन्हें विश्वविद्यालय इंदौर जाने को कह दिया जाता है और जब वे विश्वविद्यालय इंदौर जाते है तो उन्हें महाविद्यालय से डाटा नही आया है कहकर वापस भेज दिया जाता है, ऐसे में पीड़ित छात्र-छात्राएं जाए कहां यह एक बड़ा सवाल है।स्टूडेंट्स के साथ शिक्षक भी इस बात से हैरान है कि आखिर ऐसा क्या मूल्यांकन हुआ कि स्टूडेंट्स को पूरे 40 नंबर में इस तरह 2-2 नंबर दिए गए। एक-दो स्टूडेंट्स को किसी विषय में 2-5 नंबर मिले तो फिर कोई बात नहीं है, लेकिन यहां दर्जनभर से अधिक स्टूडेंट्स को ऐसे ही नम्बर दिए गए है। सभी की मांग है कि बड़े पैमाने पर की गई गड़बड़ी जांच का विषय है न कि छात्रों से मोटी रकम वसूलकर पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया का हिस्सा।
उनका कहना है कि इस वर्ष भी उनके पेपर अच्छे हुए थे। इसके बावजूद परीक्षा परिणाम खराब होने से सवाल खड़ा होना वाजिब है। छात्र नेताओं का कहना है कि इस गड़बड़ी की जांच करने के लिए विवि प्रशासन को उच्चस्तरीय समिति बनानी चाहिए, जो इसकी जांच कर फेल हुए बच्चों को न्याय दिला सके साथ ही दोषियों के ऊपर कार्रवाई भी कर सके। वरना छात्र आंदोलन का रास्ता अपनाने को विवश होंगे।
इन विद्यार्थियों को मिले यह अंक
बीए तृतीय वर्ष के विद्यार्थी तुलसीराम पाटीदार को समाजशास्त्र के द्वितीय प्रश्नपत्र में 2 अंक, सलीम मंसूरी को भी 2 अंक, कैलाश वसुनिया को 5 अंक, योगेंद्रसिंह चुंडावत को 8 अंक, प्रद्युम्न मुणिया को इसी प्रश्नपत्र में अनुपस्थित बता दिया जबकि वह पेपर में उपस्थित था। इसी के साथ पायल पाटीदार को 1 अंक, सोनाली चंद्रावत को 2 अंक, अनुष्का चतुर्वेदी को 9 अंक, रेखा ताड़ को राजनीति व समाजशास्त्र के द्वितीय प्रश्नपत्र में 1 व 8 अंक, किरण चंद्रावत को समाजशास्त्र में 1 अंक, पायल बैरागी को 1 अंक व विनीता चंद्रावत को महाविद्यालय की गलती के कारण सभी विषयों की सीसीई के अंक ही नही मिले। वहीं किरण कतीजा को राजनीति व समाजशास्त्र में 3 व 2 अंक, मधुबाला पाटीदार को फाउंडेशन कोर्स के प्रथम प्रश्नपत्र में अनुपस्थित व तृतीय प्रश्नपत्र में 9 अंक दिए। संगीता चौहान को समाजशास्त्र में 6 अंक, मुकेश वसुनिया को 2 अंक दिए गए। उनका यह पेपर लाकडाउन से पहले हुआ था। इससे यह तो स्पष्ट है कि कहीं न कहीं विश्वविद्यालय की लापरवाही  इसमें नजर आ रही हैं। एक विद्यार्थी पड़ने में कमजोर हो सकता है क्या ये सभी विद्यार्थी पड़ने में कमजोर है, अगर कमजोर थे तो सभी विषयो में उन्हें कम अंक मिलते, लेकिन ऐसा नही हुआ, दूसरे विषयो में अच्छे अंक मिले और मात्र समाजशास्त्र में ही उन्हें कम अंक देकर अनुत्तीर्ण कर दिया। यह यूनिवर्सिटी के जांचकर्ताओं की घोर लापरवाही हैं।

प्राचार्य को निर्देश दिए जाएंगे-
एसडीएम शिशिर गेमावत ने छात्र-छात्राओं की समस्या सुनकर उन्हें आश्वस्त किया कि वे महाविद्यालय प्राचार्य से इस मामले में त्वरित कार्यवाही करने के निर्देश देंगे।
विश्वविद्यालय को अवगत कराया जाएगा-
इस मामले में प्राचार्य कान्तु डामोर का कहना है कि परिणाम बनाने वालो की गलती प्रतीत हो रही है। छात्र-छात्राओं ने जो ज्ञापन दिया है उसे विश्वविद्यालय इंदौर भेजा जाएगा। ताकि जल्द से जल्द उनकी समस्या हल हो सके।

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