पीएम आवास में सरकारी भेदभाव जारी, 8 वर्षो में सीमेंट, सरिये की लागत बढ़ी लेकिन सरकार का अनुदान नहीं

बुरहान बंगड़वाला, झाबुआ

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जून 2015 में ग्रामीण क्षेत्रों एवं शहरी क्षेत्रों में गरीब लोगों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना लागू की गई थी जो कि गरीब लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण योजना साबित हुई। जिसमें प्रधानमंत्री आवास योजना का अनुदान ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय के समेत 1 लाख 50 हजार का अनुदान ग्रामीण क्षेत्रों में दिया जा रहा है वहीं शहरी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास का अनुदान 2 लाख 50 हजार का दिया जा रहा है। 

जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में आवास बनाने के लिए आवास की आवश्यकता का सामान सरिया, सीमेंट आदि शहरों में से लाना पड़ता है जिसके लिए वाहन लेकर जाते है उसका भी पैसा देना पड़ता है जबकि शहरी क्षेत्रों के लिए आवास बनाने की आवश्यकता का सामान शहरों में ही मिल जाता है। प्रधानमंत्री आवास योजना को लागू किये गए करीब 8 वर्षों से ज्यादा का समय हो गया इसके बीच मे महंगाई की भी बढ़ोतरी हो गई है आवास बनने के लिए जो जरूरत का सामान है उसकी कीमत आज तीन गुना बढ़ चुकी है जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना का अनुदान वहीं है। यदि आज के समय अनुसार प्रधामंत्री द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना को देखा जाए तो यह राशि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए बहुत ही कम है क्योंकि 1 लाख 50 हजार में अब सिर्फ आवास के बीम कॉलम में ही यह अनुदान चले जाता है। सरकार को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश आदिवासी गरीब वोटर है जो अधिक संख्या में वोटिंग करते है। जिसको देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में भी जो शहरी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना का अनुदान दिया जाता है वह ग्रामीण क्षेत्रों में भी दिया जाना चाहिए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब लोग भी अपना पक्का आवास बना सके। सरकार द्वारा जो अनुदान राशि दिय जाती है जिसके बाद अधूरा आवास को पूर्ण करने के लिए हितग्राहियों को साहूकारों से पैसा ब्याज पर लेकर बाकी का आवास कार्य पूर्ण करना पड़ता है।

ऐसे ही सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब निर्माण का कार्य भी मनरेगा में दिया जाता है जिसका सरकारी मजदूरी रेट 221 रुपए है वह भी बहुत कम है क्योंकि आज महंगाई के साथ साथ हर चीजो की महंगाई बढ़ चुकी है। जिस ओर सरकार को भी ध्यान देना चाहिए।क्योकि तालाब में गरीब लोग अपना काम छोड़ कर तालाब में काम करता है । जब हमने ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों से बात करी तो जामसिंग, पिंटू, रागेश, चेनिया आदि ग्रमीण लोगो का कहना था कि सरकार द्वारा जो आवास योजना है वह बहुत अच्छी है जिससे ग्रामीणों का पक्का मकान तो बन रहा है लेकिन सरकार को समय के साथ साथ जो अनुदान है उसे भी ध्यान में रखते हुए योजना के अनुदान में बदलाव करना चाहिए क्योंकि आज जो अनुदान मकान बनाने के लिए दिया जा रहा है वह महंगाई के साथ साथ बहुत कम है खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में क्योकि आवास का जो भी समान है वह हमें शहरों में लेने जाना पड़ता है और आज सीमेंट, सरिये के रेट भी पहले के मुकाबले 3गुना बढ़ चुके है। सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में भी शहरी क्षेत्रों में जो अनुदान 2.50 लाख का दिया जा रहा है वह ग्रामीण क्षेत्रों में भी देना चाहिए।

इसी के साथ ही जो ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा में तालाब आते है  उसमें जब लोग काम करने जाते है तो वहाँ का सरकारी रेत 221 प्रतिदिन का है वह भी बहुत कम है क्योंकि आज गरीब व्यक्ति गुजरात मजदूरी करने भी जाता है तो 400 से 500 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से करता है और गांव में मजदूरी जाता है तो 300 से 400 रुपए प्रतिदिन से जाता है तो फिर सरकार को भी बढ़ते महंगाई के साथ सरकार को इन सब मे बदलाव करना चाहिए।

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