चातुर्मास के तहतं जिनालयों में कल से बहेगी धर्म की गंगा

May

श्रावक-श्राविकाएं तप-आराधना में रहेंगे लीन
झाबुआ। विश्व पूज्य दादा गुरूदेव श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी मसा द्वारा प्रतिष्ठित ऐतिहासिक प्राचीन तीर्थ ऋषभदेव बावन जिनालय, नाकोड़ा पाश्र्वनाथ मंदिर, जिन कुशलसूरी एवं जिनदत्त सूरी मंदिर, गणधर मंदिर, महावीर बाग, रंगपुरा जैन तीर्थ एवं गौड़ी पाश्र्वनाथ मंदिर तथा देवझिरी जैन मंदिर में चातुर्मास आरंभ होने के साथ ही सोमवार से श्रावक-श्राविकाओं द्वारा विभिन्न प्रकार की धार्मिक गतिविधियां प्रारंभ होगी। राज हेमेन्द्र पुष्प आयमिल भवन में भी आयमिल करवाए जाएंगे। सभी मंदिरों में चार महीनों तक सत्त धर्म की गंगा बहेगी। इस दौरान विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन इन जिनालयों में होगा। श्रीसंघ के युवा रिंकू रूनवाल ने बताया कि ऋषभदेव बावन जिनालय में सोमवार को सुबह साढ़े 5 बजे प्रतिक्रमण श्रावकरत्न धर्मचन्द्र मेहता द्वारा करवाया जाएगा। साढ़े 6 बजे श्री भक्तामर स्त्रोत पाठ एवं गुरू गुण चालीसा का पाठ होगा। यह पाठ सोहनलाल कोठारी एवं हुक्मीचंद छाजेड़ द्वारा करवाया जाएगा। पश्चात् प्रभुजी का अभिषेक अंतिम जैन एवं श्रावक-श्राविकाओं द्वारा किया जाएगा। स्नात्र पूजन अनिता कोठारी, लीलाबेन भंडारी एवं राजा रूनवाल द्वारा पढ़ाई जाएगी। शांति कलश मनोहरलाल बाबेल द्वारा किया जाएगा।
चातुर्मास में जीव धर्म-आराधना में होता है लीन
चार्तुमास के महत्व के बारे में पाठशाला के गुरूजी संजय मेहता ने बताया कि जिस प्रकार वर्षा ऋतु आने से किसान प्रफूल्लित मन से खेत में बीज बोता है एवं फसल की देखरेख करता है। उसी चातुर्मास आने पर धर्मी जीव प्रसन्नचित से धर्म आराधना में लीन हो ताता है एवं धर्म रूपी बीज के द्वारा मोक्ष रूपी फसल को प्राप्त कर अपने मनुश्य जीवन को सफल बनाता है। चातुर्मास के दौरान श्रावक-श्राविकाओं द्वारा उपवास, आयंबिल की तपस्या के साथ ही पोशधव्रत भी चार माह तक किया जाएगा।