गांववालों ने जिसे मान लिया था मगरमच्छ का शिकार, वह लड़की 10 साल बाद भोपाल से पुलिस को जिंदा मिली

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 सलमान शैख़@ झाबुआ Live
क्या आपने कभी सुना है कि किसी इंसान को मछली या मगरमच्छ निगल गया हो और वह 10 साल बाद जिंदा लोट आए। सुनने में आश्चर्य जरूर होगा, लेकिन यह बात बिल्कुल सही है और ये कहानी पश्चिमी मप्र के झाबुआ जिले के पेटलावद की है। जहां जिस बालिका को गांववालों ने मछली या मगरमच्छ की शिकार होना मान लिया था, उसे 10 वर्षों बाद पुलिस ने ढूंढ निकाला।
दरअसल, फरियादी कालु पिता हीरा मोरी निवासी रेला कोटडा चैकी सारंगी के द्वारा पेटलावद पुलिस थाने में वर्श 2013 में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनकी एक बालिका 12 मई 2011 को घर से तालाब नहाने के लिए अपनी दो बहनों के साथ गई थी, जो वापस घर नही आई। उस बालिका को ढूंढने के लिए उस समय माता-पिता ने सारे जतन किये मगर कहीं पता नही चला। इसके बाद परिवार और गांववलों ने उसे मगरमच्छ के खा जाने की आशंका व्यक्त करते हुए उसे मगरमच्छ की शिकार होना मान लिया था और उसे मृत मानकर भूल गए थे, लेकिन 10 साल बाद जब इसकी फाईल पुनः खोली गई तो पुलिस को ऐसे अहम सुराग मिले जिसके बाद पुलिस ने बालिका को ढूंढ निकाला।
17 जांच अधिकारियों ने की जांच, लेकिन नही चल पाया पता
इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस ने धारा 363 भादवि का प्रकरण दर्ज किया था और जांच की थी। मामले की 17 जांच अधिकारियों ने गुमशुदा बालिका को ढूंढने के लिए हर बारिकी से फाईल का अध्ययन किया, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। यहां तक की मीसिंग चिल्ड्रन ट्रेकिंग पोर्टल सहित अन्य थानो पर बालिका के संबंध में कोई पता नहीं चला। इधर..उस बालिका के आने की उम्मीद घर वाले छोड़ बैठे थे। मगर इसी बीच सालों बाद पेटलावद पुलिस एक उम्मीद की किरण के रूप में सामने आई और 10 वर्षों से गायब बालिका का पता दो वर्ष पूर्व पेटलावद में पदस्थ हुए टीआई संजय रावत और उनकी टीम ने आखिर लगा लिया।
भोपाल से ऐसे मिली 10 साल से गायब बालिका
गौरतलब है कि पुलिस विभाग द्वारा ऑपरेशन मुस्कान अभियान चलाया जा रहा है। इसी ऑपरेशन मुस्कान के तहत एसपी आशुतोश गुप्ता ने गुम हुए बालक-बालिकाओं को ढूंढने के निर्देश दिये थे। पेटलावद का यह मामला काफी वर्षों से पेंडिंग था, इसके बाद खुद एसपी आशुतोष गुप्ता ने इस केस की स्टडी की और महिला प्रकोष्ठ एडीशनल एसपी आशीष पटेल को इसकी जांच सौंपी। उनकी सहायता के लिए पेटलावद टीआई संजय रावत और सारंगी चौकी प्रभारी अशोक बघेल को भी निर्देश दिए। जो इस पूरे केस में अहम कड़ी साबित हुए। पुलिस ने केस में फिर से बाप और मां के बयान लिए। इसमें बालिका की मां ने पुलिस को बताया कि करीब से 10 साल पहले भोपाल में वे लालघाटी में खुली मजदूरी करने गये थे। इसके बाद वह वापस अपने गांव लोट आए थे। बस यहीं से पुलिस को एक उम्मीद की किरण नजर आई और पुलिस ने भोपाल की लालघाटी और आसपास के क्षैत्रों में जांच टीम भेजी। खुद एडीशनल एसपी आशीष पटेल भी वहां पहुंचे। यहां टीम ने झोपड़-पट्टी में रहने वाले लोगो से बालिका के संबंध में पूछताछ की। इसके बाद आखिर में पुलिस को बालिका का पता लगा और पुलिस ने बालिका को ढूंढ निकाला।
बालिका ऐसे पहुंची थी भोपाल
10 साल बाद मिली युवती ने की उम्र अब 27 वर्ष है। युवती ने पुलिस को बताया कि वह उस दिन अपनी बहनों के साथ नहाने के लिए उनके साथ गई थी, लेकिन फिर वह वहां से मौका देख भाग गई थी। युवती उस समय परिजनों की डांट-फटकार से नाराज हो गई, इसके बाद उसने घर छोड़ने का बड़ा फैसला लिया और खुद के इकठ्ठे किए रूपयो से वह उसके गांव से भोपाल आ गई थी। यहां वह इतने वर्शो तक उसके पहचान वालों के साथ मजदूरी कर जीवन यापन कर रही थी। तभी से आज तक उसकी परिवार में किसी से कोई बातचीत नहीं हुई थी। जब पुलिस द्वारा बताया गया कि उसके माता-पिता जिंदा है और वह उससे मिलना चाहते है तो उसकी खुशी का ठिकाना नही रहा। पुलिस ने युवती की उसके परिजनों से मुलाकात कराई। आखिर पुलिस ने वर्षों पहले जिस बालिका को उसके परिजनों व गांववालों ने मृत मानकर उसको मगरमच्छ का शिकार मान लिया था उसे सकुषल ढूंढ निकाला। आज उस युवती की शादी हो गई है और दोनो पति-पत्नि आज मजदूरी करकर अपना परिवार चला रहे है।

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