ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ इंग्लिश टीचर हैदराबाद में जिले की शिक्षिका सविता गुप्ता ने मध्यप्रदेश की ओर किया प्रतिनिधित्व

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भूपेंद्र सिंह नायक, पिटोल
आज किसी भी क्षेत्र में अंग्रेजी के महत्व को नकारा नहीं जा सकता है अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा बन चुकी है और भारत के विभिन्न राज्यों में ही नहीं बल्कि विभिन्न देशों के बीच में बातचीत व विचारों के आदान-प्रदान की एक महत्वपूर्ण कड़ी है । जीवन के किसी भी क्षेत्र में ,कार्यस्थल में,साक्षात्कार में सफलता के लिए अंग्रेजी भाषा में धाराप्रवाह बोलना व एक्यूरेसी का होना आवश्यक हो गया है। शिक्षकों के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वे अपने कक्षाओं में टीचिंग लर्निंग का एक ऐसा वातावरण तैयार करें कि छात्र प्रभावी तरीके से अंग्रेजी बोलना और लिखना आसानी से सीख सकें। इसी विचारधारा को लेकर डिपार्टमेंट ऑफ ह्यूमैनिटी एंड सोशल साइंस और ऑफ वासवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, हैदराबाद में,आईएनईटी के साथ 10 व 11 जनवरी 2020 को हैदराबाद में देश-विदेश के उन सभी शिक्षकों को एक साझा मंच दिया जो अंग्रेजी भाषा में नवाचार कर रहे हैं और शिक्षकों और विद्यार्थियों को लाभान्वित करने का प्रयास कर रहे हैं। यह वह मंच था जिस पर देश विदेश से आए शिक्षक अपने विचारों को और अपने आइडिया का आदान प्रदान कर रहे थे।ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ इंग्लिश टीचर (आईएण्टीईएफएल) इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ टीचर्स ऑफ इंग्लिश एज ए फॉरेन लैंग्वेज यूके से संबद्ध है।भारत के 25 राज्यों के प्राथमिक, माध्यमिक,हाईस्कूल व हायर सेकंडरी स्तर के शिक्षकों ने इस इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भाग लिया। मध्य प्रदेश के 5 शिक्षकों ने शिक्षकों के दल ने इस इंटरनेशनल कांफ्रेंस में सविता गुप्ता शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय झाबुआ, अंजना कपूरिया शासकीय सुभाष उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भोपाल, विजय वर्मा शासकीय मॉडल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय इछावर सीहोर, मनीष शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ग्वालियर, दीप्ति ठाकुर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जबलपुर ने प्रतिनिधित्व किया। समन्वयक अधिकारी के रूप में राज्य स्तरीय ज्ञान कुंज दल के सदस्य भोपाल से श्री पंकज सिंह परिहार हमारे साथ थे। इस कॉन्फ्र्रेंस में पूरे दल की सहभागिता देने वाले मास्टर ट्रेनर्स व अधिकारी का की हवाई यात्रा,भोजन, आवास व्यवस्था व स्थानीय परिवहन का व्यय ब्रिटिश काउंसिल इंडिया द्वारा वहन किया गया। इस अंतरराष्ट्रीय मंच के कांफ्रेंस में लेक्चर,पेपर वर्क, कार्यशाला, पोस्टर प्रेजेंटेशन व शिक्षकों के निजी अनुभवों को भी सुना गया।
इंग्लिश इन मल्टीलिंगुअल कांटेक्ट इस कांफ्रेंस का मुख्य विषय था। कक्षा में अंग्रेजी विषय पढ़ाने में तथा इसे भाषा के रूप में विकसित करने में अन्य भाषाओं जैसे स्थानीय व मातृभाषा का कितना सहयोग हो सकता है यही मुख्य मुद्दा था ।
मार्क लेवी (ब्रिटिश काउंसिल स्पेन) के संबोधन के बाद अलग-अलग राज्यों के मुख्य रूप से प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षकों द्वारा विभिन्न विषयों पर अलग-अलग कक्षाओं में पेपर प्रेजेंटेशन व कार्यशाला का आयोजन किया गया । महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों से आए शिक्षकों द्वारा विभिन्न विषयों पर पोस्टर प्रदर्शनी लगाई गई। परिसर में रखे गए वाइट बोर्ड पर इस कॉन्फ्रेंस में आए हर शिक्षक ने अपनी बोली को स्थानीय व अंग्रेजी भाषा में लिखा । लगभग 94 भाषाएं उस बोर्ड पर डिस्प्ले की गई। देखा जाए तो यह कॉन्फ्रेंस अपने आप में मल्टी लिंग वाले ने की बहु भाषा के रूप में हमारे सामने था। समापन के पूर्व ऐसे 4 शिक्षकों से परिचय करवाया गया जिनके लिए कहा गया श्शिक्षक जरा हट के नॉट जस्ट टीचर। ये शिक्षक अपने शैक्षणिक कार्य के साथ.साथ शिक्षण से ऊपर उठकर अन्य सामाजिक कार्यों को भी कर रहे हैं । ये चारों शिक्षक है।विक्रम महाराष्ट्र से सदक गजल, बिहार, आकांक्षा सक्सेना, गौतम बुद्ध नगर उत्तर प्रदेश से व नदीम खान महाराष्ट्र से झाबुआ जिले में भी ऐसे शिक्षक हैं जो शैक्षणिक गतिविधियों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी नवाचार करते रहते हैं । मैं ऐसे इन सभी शिक्षकों को एक मंच पर लाकर चाहूंगी ताकि अगले साल इस कांफ्रेंस में कम से कम 10 शिक्षक झाबुआ से जरूर शामिल हो। मैं माध्यमिक शिक्षा मंडल मध्यप्रदेश भोपाल व ब्रिटिश काउंसिल को दिल से धन्यवाद करती हूं जिन्होंने मुझे इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर शामिल होने का अवसर दिया इस मंच पर शामिल होकर ऐसा लगा कि हर व्यक्ति को सरकारी सेवा से ऊपर उठकर कुछ ना कुछ जरूर करना चाहिए ।साथ ही मैं आभारी हूं अनिकेत कलस्कर प्रोजेक्ट मैनेजर का जिन्होंने हैदराबाद में हम लोगों का काफी ध्यान रखा।