Special: बॉलीवुड मसाला फिल्मों की जैसी रोचक है कलावती की जीत पटकथा

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मौजूदा जिला पंचायत के चुनाव राजनीतिक मायनो मे बेहद खास थे भाजपा के पास जहाँ झाबुआ जिले को कांग्रेस मुक्त करने का एक अवसर था ओर कांग्रेस के पास संजीवनी पाकर खुद को रिचाज॔ करने का अवसर..आज जब परिणाम सबके सामने है तो कहाँ जा सकता है कि कांग्रेस ने संजीवनी हासिल कर ली जबकि भाजपा आपसे मे ही उलझी रही ओर सांसद पुत्र तक हार गये । खैर अब आते है कि इतने अच्छे नंबर आने के बावजूद भी कलावती भूरिया को कांग्रेसियों ने ही खून के आंसु रुलाने मे कोई कसर नही छोडी थी यह बात अलग है कि अंत भला तो सब भला की तर्ज पर कलावती अब बहुत कुछ भूल जाये लेकिन पुरी स्क्रिप्ट को समझने से पहले जिला पंचायत के नंबरो का गणित जान लीजिए. ..॥

 

यह था नंबरो का गणित

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झाबुआ जिला पंचायत मे कुल 14 सदस्य होते है जिसमे अगर दो कोणीय मुकाबला हो तो 8 सदस्यों की जरुरत होती है ओर आज कलावती भूरिया को 9 वोट मिले जबकि 4 वोट भाजपा के खाते मे गये जबकि भाजपा के बागी बन चुनाव लडे निर्दलीय राजेश वसुनिया मतदान प्रक्रिया से दुर ही रहे ।

 

मंगलवार शाम को बनी सहमति

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दरअसल पूरा मामला मंगलवार तक उलझा हुआ था सभी दल ओर जीतने की कोशिश मे जुटे दावेदार जिला पंचायत सदस्यों के मन की थाह ले रहे थे जेवियर मैडा ओर वालसिंह मैडा की जोडी “कलावती भूरिया” को इस पद पर ना बैठाने के लिऐ आमादा थी लेकिन नंबर नही हो पा रहे थे लेकिन इन दोनो की जोडी को ऊर्जा “मेघनगर” से मिल रही थी ओर लेकिन जब मंगलवार को यह साफ हो गया कि कांग्रेस के 5 सदस्यों को तोडा नही जा सकता ओर थांदला जनपद मे कलसिंह भाभर द्वारा भाजपा की सहमति से गेंदाल से अंदरुमी समझोता किया था तो राजेश वसुनिया ओर बहादुर भाभर का एक साथ आना जेवियर लाबी को मुश्किल लगा..इस तरह जेवियर-वालसिंह जोडी अंको के गणित मे कमजोर थी इसी बीच भाजपा देर से जागीसोर तिकडमी विधायक” रमेश मेंदोला” को झाबुआ भेज दिया इसे कांग्रेसियों ने खतरे की घंटी माना ओर मंगलवार देर शाम को कांतिलाल भूरिया ने मेघनगर लाबी पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया इस दोरान कुछ पुरानी भडासे भी निकाली गई लेकिन अंततः भूरिया इस मामले मे “मेघनगर” लाबी को अपने पक्ष मे करने या न्यूटल रहने को राजी करने मे कामयाब रहे ओर इस लाबी के भूरिया के पक्ष मे जाते ही जेवियर-वालसिंह ने मामले मे खुद को हारा हुआ पाया ओर वालसिंह कल शाम को भूरिया खेमे मे अपने राजनीतिक भविष्य को देखते हुऐ लोट आये इस तरह कलावती भूरिया फिर से जिला पंचायत अध्यक्ष बन गई ..।

 

राजेश वसुनिया को मेनन ने रोका

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मंगलवार को ही कलावती भूरिया की जीत की पटकथा लिखी जा चुकी थी लेकिन भाजपा मे सांसद ओर संगठन ने तो प्रयास छोड दिये थे सांसद भूरिया दिल्ली चले गये थे ओर निर्मला भूरिया ने भी जिला पंचायत मतगणना की रणनीति से दुरिया बना ली थी लेकिन भाजपा की प्रदेश इकाई देर से जागी ओर मेंदोला को कलावती भूरिया को रोकने की जिम्मेदारी दी गई बताते है कि मैंदोला ने मेघनगर लाबी पर जबरदस्त दबाव बनाया साथ ही अंतिम 48 घंटे मे शिव कैबीनेट के कम से कम आधा दर्जन मंत्रीयो ने दबाव की कुटनीति अपनायी लेकिन कारगर साबित नही हुई ओर भाजपा की जिला इकाई के कहने पर अरविंद मेनन ने राजेश वसुनिया को गैर हाजिर रहने का आदेश यह कहते हुए दिया कि भाजपा की जिला इकाई को राजेश पर भरोसा नही था इसलिए राजेश वसुनिया ने अनुपस्थित रहकर विश्वसनीयता बनाये रखी ।।

 

किधर गया निद॔लीय का वोट

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हालाँकि यह गोपनीय मामला है लेकिन एक निद॔लीय सदस्य को लेकर मामला उलझा हुआ था हालाँकि कांग्रेस से उस निद॔लीय की एक डील की चर्चा थी जिसके तहत उसे अपना वोट रद्द करना था यानी ना भाजपा मे ना कांग्रेस मे लेकिन उनका वोट भाजपा को गया ओर भाजपा को तीन सदस्य होते हुऐ भी 4 वोट मिले ।

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