झाबुआ, हमारे प्रतिनिधिः जिले के राजनेता किस तरह नियम कायदों को ताक पर रखकर सरकारी सुविधाओं का लाभ ले रहे है और किस तरह खुद को गरीब बता रहे है जबकि हकीकत में वो गरीब की श्रेणी में आते नहीं है। इसका बड़ा खुलासा झाबुआ आजतक करने जा रहा है।
दरअसल, झाबुआ नगर पालिका में अध्यक्ष और बीजेपी धनसिंह बारिया से जुड़ा हुआ है यह खुलासा। खुद धनसिंह बारिया के दस्तावेज उनके झूठ की पोल खोल रहे है। यूं तो धनसिंह बारिया नगर पालिका अध्यक्ष है लेकिन उनका नाम गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली सूची में भी था। दो साल पुराने दस्तावेजों के आधार पर अध्यक्ष की पोल खोलती पढ़िए झाबुआ आजतक की यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट।
झाबुआ नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए धनसिंह बारिया ने 14 जून 2012 को अपना नामांकन दाखिल किया था। उन्होंने इस दौरान अपनी संपत्ति की जानकारी दी थी, वो इस प्रकार हैं।
- बैंक खाते में दो हजार रूपए नकद
- एलआईसी की पॉलिसी,
- टाटा 407 गाड़ी जिसका मूल्य 6 लाख 50 हजार रुपए बताया गया था।
- महिंद्रा बोलेरो जीप जिसकी कीमत 7 लाख 25 हजार रुपए,
- एक तौला तौला एवं
- 5 लाख रुपए मूल्य का एक प्लाट बताया गया था।
इन सब संपत्ति को देखकर आप यकीनन कह सकते है कि झाबुआ नगर पालिक अध्यक्ष धनसिंह बारिया नामांकन भरते समय न तो गरीब और नहीं सरकारी नियमों के तहत गरीबी रेखा में आते है। फिर भी धनसिंह बारिया का नाम बीपीएल सूची में दर्ज था। ऐसा क्यों इसका जवाब धनसिंह बारिया के पास शायद नहीं है।
बीपीएल सूची में मिलता है जवाब:
14 जून 2012 को नगर पालिका अध्यक्ष धनसिंह बारिया ने नामांकन के वक्त जो संपत्ति सार्वजनिक की थी यदि वह सही है तो फिर झाबुआ नगर की बीपीएल (गरीबी रेखा के नीचे) की सूची में उनका नाम 818 नंबर पर क्यों दर्ज था? यह एक बड़ा सवाल है। बीपीएल सूची नंबर 818 में आज से 100 दिन पूर्व तक धनसिंह बारिया का नाम दर्ज था। नवीन सूची के बारे में अभी कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई है। 818 नंबर पर धनसिंह बारिया की धर्मपत्नियों गीताबाई एवं बसंतीबाई दोनों के नाम दर्ज है।
बीपीएल होने के चलते मिला लाभ:
बीपीएल सूची में नगर पालिका अध्यक्ष धनसिंह बारिया का नाम होने का लाभ उनकी पत्नी बसंतीबाई को भी मिला है। स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना को अंतर्गत उन्हें 50 हजार रुपए का लोन स्वीकृत हुआ जिसमें 17 हजार 500 रुपए सब्सिडी उन्हें चेक क्रमांक 154626 के जरिये मिली थी।
पूरे मामले पर यह जवाब है नगर पालिका अध्यक्ष का:
“यह बात सही है कि मेरा नाम कुछ समय पूर्व तक बीपीएल सूची में था, लेकिन मैंने अपना आय प्रमाण पत्र बनाकर बीपीएल राशन कार्ड सरेंडर कर दिया है। 1990 के आसपास जो बीपीएल सर्वे के आधार पर सूची बनी थी उसमें मेरा नाम चल रहा था और अकेला नहीं है कई अपात्र लोगों के नाम बीपीएल सूची में चढ़ गए थे। मैंनें दुरुस्त करवा लिया है।”
धनसिंह बारिया, नगर पालिका अध्यक्ष झाबुआ