झाबुआ लाइव डेस्क के लिऐ ” दिनेश वर्मा ”
पेटलावद ब्लास्ट के मुख्य आरोपी ” राजेंद्र कांसवा” का सच जानने के लिए उसके परिवार ओर एक दूर के रिश्तेदार ” मनोज गादिया” का नार्को टेस्ट को चुनोती देने वाली मनोज गादिया की याचिका पर आज झाबुआ की अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने अपनी सुनवाई पूरी कर ली । आज दोनो पक्षो ने बहस कर अपना पक्ष रखा जिसके बाद जज श्री संजय बांगर ने अपना फैसला कल तक के लिए सुरक्षित रख लिया ।संभवत कल इस याचिका पर फैसला आ जायेगा ।
नही मिली ” स्टे” के रुप मे राहत
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मनोज गादिया की ओर से याचिका मे यह मांग की गई थी कि जब तक न्यायालय का फैसला नही आ जाता तब तक ” नार्को” करवाने के पेटलावद कोर्ट के फैसले पर स्थगन दे दिया जाये लेकिन न्यायाधीश ने स्थगन देने से इंकार करते हुए सीधे याचिका को निराकरण के लिए स्वीकार करते हुए आज बहस पूण॔ करने को कहा ।
मनोज गादिया की ओर से यह तक॔
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अतिरिक्त सत्र न्यायालय मे बहस के दोरान मनोज गादिया के वकीलो की ओर से नारको टेस्ट करवाने के पेटलावद कोट॔ के फैसले को यह कहते हुऐ चुनोती दी गयी कि ” सुप्रीम कोट॔” ने नारको टेस्ट के लिए जो दस बिंदुओं की गाइड लाइन जारी की गयी है उनका पालन नही किया गया है साथ ही सुप्रीम कोट॔ की 2010 के फैसले की कोई रुलिंग यह कहते हुऐ गादिया की ओर से प्रस्तुत की गयी कि वह ( मनोज गादिया ) आरोपी नही बल्कि पुलिस का गवाह है इसलिए उसका नार्को नही किया जाना चाहिए ।
एसआईटी को इसलिए ” गादिया” पर शंका
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दरअसल आज न्यायालय मे बहस के दोरान इस बात का खुलासा हुआ कि आखिर क्यो पेटलावद ब्लास्ट की जाच कर रही ” एसआईटी” ने गवाह होने के बावजूद उसका ” नार्को ” टेस्ट मांगा है । दरअसल मनोज गादिया ने धारा 161 ( सीआरपीसी) के तहत जो बयान पुलिस को दिये है उसमे वह कह रहा है कि हां वह ब्लास्ट के बाद ” नरेंद्र कांसवा” को अपनी बाइक मे बैठाकर ले गया था लेकिन ” नरेंद्र कांसवा” ने बयान दिया है कि वह ” मनोज गादिया” की बाइक मे बैठा ही नही था । इस तरह से एसआईटी को लगता है कि मनोज गादिया पुलिस से कुछ छिपा रहा है इसलिए नार्को किया जाना जरुरी है ।