16 लाख रुपए की टमाटर ग्रेडिंग-कोटिंग मशीन 7 साल से खा रही धूल

May

झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
टमाटर किसानों को रुला रहा है, सरकार भी टमाटर के नाम पर घाटा खा रही है। टमाटर की ग्रेडिंग के लिए 16 लाख की मशीन पिछले 7 सालों से पेटलावद के उद्यानिकी विभाग में धूल खा रही है। टमाटर की ग्रेडिंग, वेक्सीनेसन, कोटिंग और क्लीयरिंग यह चारों कार्य इस मशीन के माध्यम से हो सकते है किन्तु क्षेत्र का दुर्भाग्य माने की जिस दिन से यह मशीन लगी है उसके बाद से आज तक एक भी दिन नहीं चल पाई है। विभाग ने इसके लिए एक बिल्डिंग भी अलग से बनाई जिसमें यह जंग खा रही है। मप्र की चुनिंदा नर्सरियों में दी गई इस मशीन को पेटलावद में भी दिया गया। क्योंकि यहां टमाटर का अधिक उत्पादन होता है। इसलिए झाबुआ जिले में पेटलावद को इस मशीन के लिए चुना गया किन्तु उसका लाभ नहीं मिल पाया। लाभ नहीं मिलने का कोई टेक्निकल कारण नहीं बल्की विभागी लापरवाही और जन जागृति का अभाव है। पेटलावद क्षेत्र में 2200 हेक्टयर क्षेत्र में टमाटर की खेती हो रही है। इसके साथ ही अन्य फलों की खेती लगभग 200 हेक्टयर क्षेत्र में हो रही है, जिसके द्वारा फलों की ग्रेडिंग की जाना था। पेटलावद क्षेत्र को मिली सौगात वरदान नहीं बन पाई आखिर इसमें गलती किस की है विभाग की या किसानों की। किसानों का कहना है ग्रेडिंग मशीन के उपयोग पर प्रतिकिलो 1 रुपए का खर्चा आता है किन्तु इस एवज में हमें भाव नहीं मिल पाते है अभी तो स्थिति यह है कि टमाटर 1 से 3 रुपए किलो बिक जाए। यदि ग्रेडिंग के लिए ले जाएगे तो उसका 1 रुपए किलों अलग से कहा से लाएंगे। वहीं विभाग के अधिकारियों का कहना है किसानों की जागृति के अभाव में ग्रेडिंग मशीन का उपयोग नहीं हो पाया है। हम कोशिश करेंगे कि जल्द से जल्द मशीन को चालू करवाया जाए। कुछ दिनों पूर्व कलेक्टर ने भी ग्रेडिंग मशीन के संबंध में दौरा कर मशीन को चालू करवाने संबंधी आश्वासन दिए थे किन्तु आज तक कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकल पाए है। इस संबंध में उद्यानिकी अधिकारी सुरेश इतवारी का कहना है कि हम अपने स्तर पर प्रयास कर रहे है। ग्रेडिंग मशीन प्रारंभ की जाए और इसका लाभ किसानों को दिया जाए आपरेटर को भी जल्द बुलाया जाएगा.