सर्वप्रथम किसने बांधी राखी किस और क्यों..?

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झाबुआ लाइव डेस्क-
लक्ष्मी जी ने सर्वप्रथम बलि को बांधी थी और जब दानबेन्द्र राजा बलि अश्वमेध यज्ञ करा रहे थे, तब नारायण ने राजा बलि को छलने के लिए वामन अवतार लिया और तीन पग में सब कुछ ले लिया, तब उसे भगवान ने पाताल लोक का राज्य रहने के लिए दे दिया तब उसने प्रभु से कहा कि कोई बात नहीं मैं रहने के लिये तैयार हूं पर मेरी भी एक शर्त होगी। भगवान अपने भक्तों की बात कभी टाल नहीं सकते। उन्होने कहा कि ऐसे नहीं प्रभु आप पहले मुझे वचन दे कि जो मांगूंगा वो आप दोंगे। नारायण ने कहा दूंगा, ब त्रिबाचा करा लिया तब बोले बलि की मैं जब सोने जाऊं तो जब उठूं तो जिधर भी नजर जाये उधर आपको ही देखूं। नारायण ने अपना माथा ठोका और बोले इसने तो मुझे पहरेदार बना दिया है। यह सबकुछ हार के भी जीत गया है, पर कर भी क्या सकते थे वचन जो दें चुके थे ऐसे होते-होते काफी समय बीत गया। उधर बैकुंठ में लक्ष्मीजी को चिंता होने लगी नारायण के बिना, उधर नारदजी का आना हुआ। लक्ष्मीजी ने कहा नारदजी आप तो तीनों लोकों में घूमते हैं क्या नारायण को कहीं देखा आपने तब नारद जी बोले की पाताल लोक में हैं राजा बलि की पहरेदार बने हुए हैं। तब लक्ष्मीजी ने कहा मुझे आप ही राह दिखाए कि कैसे मिलेंगे, तब नारद ने कहा आप राजा बलि को भाई बना लो और रक्षा का वचन लो और पहले तिर्बाचा करा लेना दक्षिणा में जो मांगूगी, वह दोंगे और दक्षिणा में अपने नारायण को मांग लेना। लक्ष्मी जी सुन्दर स्त्री के भेष में रोते हुए पहुंची इस पर बलि ने कहा क्यों रो रहीं हैं आप, तब लक्ष्मीजी बोली की मेरा कोई भाई नहीं हैं इसलिए मैं दुखी हूं। तब बलि बोले की तुम मेरी धर्म की बहन बन जाओ, तब लक्ष्मी ने तिर्बाचा कराया और बोली मुझे आपका ये पहरेदार चाहिए, जब यह मांगा तो बलि पीटने लगे अपना माथा और सोचा धन्य हो माता-पति आए सब कुछ लें गये और ये महारानी ऐसी आई कि उन्हे भी ले गई, तब से यह रक्षाबंधन शुरू हुआ था और इसीलिए जब कलावा बांधते समय मंत्र बोला जाता हैं येन बद्धो राजा बलि दानबेन्द्रो महाबला तेन त्वाम प्रपद्यये रक्षे माचल माचल: ये मंत्र हैं। रक्षाबंधन अर्थात बह- बन्धन जो हमें सुरक्षा प्रदान करे। सुरक्षा किस से? हमारे आंतरिक और बाहरी शत्रुओं से रोग-ऋण से। इसलिए राखी का मान करे।

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