सरहद पर तनाव का असर – सरकार ने दूसरा बाजार नही ढुंढा – अब टमाटर फेंकने को मजबूर हुए किसान 

May

20161103_163823 screenshot_2016-11-03-14-25-15-1झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
उरी हमले के बाद ” सरहद ” पर भारत – पाकिस्तान ” के बीच हो रही जमकर गोलीबारी का असर ” LOC से 1800 किमी दूर ” मध्यप्रदेश ” के आदिवासी बहुल ” झाबुआ ” जिले के टमाटर उत्पादक किसानो पर भी देखने को मिल रहा है । झाबुआ जिले के पेटलावद तहसील मे 5 हजार किसान टमाटर का उत्पादन अब तक पाकिस्तान मे हो रहे निर्यात को ही देखकर करते आये है । करीब 20 हजार एकड मे टमाटर की खेती की जाती है । पिछले साल हुए लाभ को देखते हुए इस बार यह रकबा बढकर 25 हजार एकड को पार कर गया था लेकिन किसानो की उम्मीद उरी हमले ओर उसके बाद लगातार हो रही गोलीबारी ने तोड दी । खुद यहां के किसान भी अब पाकिस्तान को अपना टमाटर नही बेचना चाहते है इसलिए लिए बकायदा ” टमाटर उत्पादक” किसानो ने देश के पीएम मोदी ओर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्वीट कर आसियान या मध्य पूर्व के देशो मे नया बाजार ढुंढने की मांग की थी । मगर एक माह बीतने के बाद भी सरकार टमाटर उत्पादक किसानो के लिए नया बाजार नही तलाश पाई है नतीजा अधिक उत्पादित हुआ टमाटर अब किसानो के लिए घाटे का सोदा साबित हो रहा है । आलम यह है कि यहां टमाटर अब मात्र 40 से 50 रुपये प्रति कैरेट ही बिक रहा है जबकि पहले पाकिस्तान जाने पर इन किसानो को 700 से 800 रुपये कैरेट का दाम मिल जाता करता था । रायपुरिया के समीप रामनगर के किसान ” राजाराम पाटीदार ” कहते है ” हमे 110 रुपये प्रति कैरेट की लागत पडती है ओर हमे मिल रहा है इस समय 40 /50 रुपये कैरेट का दाम । ऐसे मे लागत – मजदूरी तक नही निकल पा रही है इसलिए इसे बाहर भेजना महंगा ओर फेंकना हमे ठीक लग रहा है । आलम यह है कि पेटलावद तहसील मे जगह जगह टमाटर सडको के किनारे से लेकर नदी – नालो मे तो खलिहान से लेकर खेतो मे फेंके हुए बिखरे पडे है । मगर सरकार का ध्यान इन टमाटर उत्पादक किसानो की ओर ना होने से टमाटर उत्पादक किसान नाराज है रामनगर के जगदीश पाटीदार कहते है कि प्याज उत्पादक किसानो को हुए नुकसान को देखते हुए प्रदेश सरकार ने प्याज समथ॔न मूल्य पर खरीदा था तो हमारे टमाटर भी इस तरह से खरीदे ताकी हमे लागत तो कम से कम मिल जाये वरना हमारा तो साल खराब हो गया है बीज – मजदूरी – खाद के पैसे कैसे देंगे यह चिंता का विषय है हमारे लिए । इस मामले मे झाबुआ कलेक्टर ” आशीष सक्सैना ” कहते है कि प्याज खरीदना सरकार का फैसला था इसमे प्रशाशन का कोई रोल नही था । कलेक्टर कहते है कि बारिश की अधिकता से उत्पादन बढा है ओर टमाटर खेतों मे गिरा है वह गिरने वाला फेंका जा रहा है । कलेक्टर सक्सैना कहते है कि हम जल्द ही एक फूड प्रोसेसिंग यूनिट ” जिले के बामनिया” मे डालने वाले उद्योगपति को सहयोग कर रहे है उस यूनिट के डल जाने से समस्या हल हो जायेगी ।