शिवराज जन आशीर्वाद मे व्यस्त; अधिकारी अपनी दुकानदारों मे मस्त; बच्चे ओर शिक्षक इस गांव मे त्रस्त; बच्चे खुले आसमान के नीचे तो शिक्षक शोचालय मे क्यो बैठने को मजबूर है इस गांव मे !
बुरहान बंगडवाला – jhabua
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनो स्वर्णिम मध्यप्रदेश के लि ऐ एक ओर पारी खेलने के लिऐ जनता का आशीर्वाद लेने मे जुटे है वही उनके अफसर अपनी मस्ती मे मस्त है .. इसकी बानगी झाबुआ जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर रामा विकास खंड के “मातासुला भूरिया ” गांव मे देखने को मिलती है जहां शाशकीय प्राथमिक स्कूल का भवन का एक बडा हिस्सा विगत सोमवार को गिर गया था गनीमत यह रही कि जब स्कूल का भवन क्षतिग्रस्त हुआ तब स्कूल चालु नही था बल्कि रात मे गिरा था .. अब आलम यह है कि इस स्कूल के सारे बच्चे अब खुले आसमान के नीचे बैठकर पढाई करते है ओर अगर बारिश होती है तो भागकर पास मे तडवी साहब के घर पर बने टीन शेड मे बैठ जाते है ।
बच्चे खुले मे तो टीचस॔ ” शोचालय” मे
अब स्कूल भवन गिरने के बाद हालात यह है कि बच्चे खुले आसमान के नीचे ओर भैंस के तबेले के समीप बैठकर पढाई करते है ओर स्कूल के दो शिक्षकों को स्कूल के शौचालय को अपना आपातकालीन आफिस बनाना पडा है यही बैठकर हेड मास्टर सागर सोलंकी ओर शिक्षक विजय बामनिया को बैठने को मजबूर होना पड़ा है यही पर सरस्वती जी की फोटो भी रखी गयी है भयानक बदबू के बीच शिक्षकों को बैठना पड रहा है ।
विगत साल एक हिस्सा गिरा था अब दुसरा गिरा
मातासुला भूरिया का स्कूल भवन 1980 मे बना था ओर एक साल पूर्व भी इसका एक हिस्सा गिर चुका था उसके बावजूद विकल्प ना होने पर स्कूल उस हिस्से मे लगाई जा रही थी जो ठीक ठाक था लेकिन विगत एक सप्ताह पूर्व यह ठीक ठाक हिस्सा भी गिर गया। अब पूरे गांव मे कोई स्कूल भवन नही है ।
बच्चे बोले नया स्कूल बने तो बेहतर होगा
अब स्कूल भवन गिरने के बाद बच्चे खुले मे पढ रहे है ओर उनकी इच्छा है कि जल्दी नया स्कूल भवन बने .. एक छात्र लाला कहते है कि बरसात मे बहुत दिक्कत होती है हमे जल्दी नया स्कूल दिलवा दीजिए .. शिक्षक विजय बामनिया कहते है कि हमारे सामने यह दिक्कत है कि बच्चो को कहा ले जाये ओर खुद हम शोचालय के अलावा कहा बैठै ?
पत्र पर पत्र लिखते रहे लेकिन सोऐ रहे अफसर
मातासुला भूरिया के स्कूल भवन की बदहाली के बावजूद ब्लाक ओर जिला स्तर के अफसर सोऐ रहे । स्कूल की तरफ से लगातार 2009 से ब्लाक स्तर के जिम्मेदार अधिकारीयों को पत्र लिखकर अंदेशा जताया जाता रहा कि स्कूल भवन कभी भी गिर सकता है लेकिन किसी ने इन शिक्षकों की नही सुनी । इस शिक्षकों के पास सारे लिखे पत्रों की पावती भी उपलब्ध है। हालात यह थे कि स्थानीय जन शिक्षक लगातार जब भी निरीक्षण मे आते थे शह निरीक्षण पंजी मे लिखते ही नहीं थे कि भवन की स्थति क्या है ।
अब बचाव मे जन शिक्षक ” शिक्षको” पर डाल रहा जिम्मेदारी
अब इस स्कूल भवन के गिरने के बाद जन शिक्षक अपनी जिम्मेदारी स्कूल के हेड मास्टर ओर शिक्षक पर डालता हुआ दिखाई दिया । जन शिक्षक शंकर राठोर का कहना है कि इस स्कूल भवन को डिसमेंटल करने का शिक्षकों को कहा गया था मगर उन्होंने नही किया जबकि जिला शिक्षा केंद्र के पत्र पर लोक निर्माण विभाग इसे जर्जर घोषित कर चुका है लेकिन खुद उन्होंने ऐसा क्यो नही किया इसका उनके पास कोई जवाब नही है ओर बच्चे क्या खुले मे पढेंगे? इसका भी उनके पास कोई जवाब नही है ।