रोजे-इबादत ट्रैनिंग है जो बंदे को सालभर बुराइयों से दूर रखती है : बरकाती साहब

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झाबुआ लाइव के लिए थांदला से रितेश गुप्ता की रिपोर्ट
थांदला- स्थानीय गौसिया जामा मास्जिद के पेश इमाम मौलाना इस्माइल कादरी बरकाती ने रमजान मुबारक के पवित्र माह तथा रोजे की फजीलत बताते हुए कहा कि रमजान का महीना अल्लाह की बंदगी और उसकी फरमा बरदारी के ट्रेनिंग का महीना। इस माह का चांद नजर आते ही गुनाहो में कमी आ जाती है और बंदा अपने रब की खुशी के लिए गुनाहों को छोड़कर नेकियों की तरफ माईल हो जाता है। यही ट्रेनिंग बाकी महीनों में बरकरार रहे तो समाज गुनाहों और बुराईयों से पाक हो सकता है। रमजान माह की ट्रेनिंग हमें ये सबक देता है कि पूरे साल हम गुनाहों तथा बुराइयों से स्वयं को बचाए रखे। 20वें रोजे के बाद एत्तकाफ की इबादत में कुछ मुसलमान दस दिन के लिए बैठते है। इस दौरान उनका शत-प्रतिशत समय इबादत में ही गुजरता है तथा दुनियावी चीजों से परहेज करते है। ऐत्तकाफ का मकसद हर वर्ष समाज को ऐसे लोग मिले जो नेक बनकर जीये और नेकियों की दावत पूरे समाज को दें। ऐत्तकाफ में बैठने वाले की खिदमत पूरे समाज को करना चाहिये। आपने बताया कि ऐत्तकाफ पर बैठने वालों को प्रतिदन एक हज का सवाब मिलता है।

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