झाबुआ। सार्वजनिक गणेश मंडल झाबुआ के बैनर तले राजवाडा चोक पर आयोजित कवि सम्मेलन फिर इतिहास बना गया। रात्रि 9 बजे से प्रारंभ हुआ कवि सम्मेलन देर रात 3 बजे तक चला। पूरा राजवाडा चोक श्रोताओं से पट गया ओर हर किसी ने कवि सम्मेलन में साहित्य एवं हास्य-व्यंग की रचनाओ को सुन कर जम कर दाद दी। कार्यक्रम में पधारे कवियो का आयोजन समिति की ओर से पुष्पहारो से स्वागत किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मंडल के अध्यक्ष राजेन्द्र अग्निहोत्री, सरंक्षक पुष्पकरण सोनी, महासचिव नानालाल कोठारी थे। इस अवसर पर नगर में सामाजिक, धार्मिक, रचनात्मक क्षेत्र में उत्कृष्ठ सेवाएं देने तथा मीडिया के माध्यम से अपनी प्रखर भूमिका निभाने पर राजेन्द्र सोनी का नगर की जनता की ओर से अतिथियों के कर कमलों से शाल-श्रीफल से नागरिक सम्मान किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सूत्रधार अशोक नागर शाजापुर ने गणेश वंदना’’ आसन लगा हुआ है, पधारो गणेश जी मुशक विमान शीघ्र उतारो गणेश जी, तुम रिद्धी-सिद्धी के दाता, तुम बुद्धि के प्रदाता’’ से किया। सरस्वती वंदना के लिये लखनउ से आई गीतकार डा.व्यंजना शुक्ला ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत करते हुए अपनी रचना ’’विणा के तार बजाती नही तो हमे सरगम का ज्ञान नही होता, होती न मां जो तुम्हारी कृपा, कविता का इतना गुणगान नही होता प्रस्तुत कर काफी तालिया बटोरी। अगले कवि के रूप मे हास्य व्यंग के सशक्त हस्ताक्षर धनपाल धमाका, प्रतापगढ ने पैरोडिया एवं अपनी कविता से काफी गुदगुदाया। उनकी रचना केजरीवाल आयो रे दादो झाडू लायो रे तथा राजनैतिक व्यंग रचना चलो बुलावा आया है मम्मी ने बुलाया है सहित प्रस्तुत रचनाओं का श्रोताओं ने जमक र लुफ्त उठाया। कामेडी स्टार मुंबई हिमांशु बबंडर की हास्य रचना’’ एक महिला ने सरदार को व देश को दस साल तक चलाया,को काफी पसंद किया गया। उनकी कुत्तो पर आधारित कविता तथा मुक्तक ये अजब सी कहानी हुई ,कुदरत को भी हैरानी हुई, भैस ने जन्म दे दिया सफेद बछडे को जाने किस बैल से बेईमानी हुई ने काफी तालिया बटोरी। कोटा से पधारे वीर रस के सशक्त हस्ताक्षर निशामुनि गोड की रचना ’’ खामोश निगाहों में कोई ख्वाब पेदा कर,पूरे होने न देगें तेरे इरादे, सीमा पर विजय मेरे हिंदुस्तान की,धज्जिया उड़ा देंगे तेरे पाकिस्तान की तथा आस्था पर घात बिना बात कब तक होगी, सो करोड हाथ जब एक साथ होगें, जडमूल से आतंकवाद मिटा देंगे हम तथा श्वेत वस्त्र धार कर पापी और पाखडी यहां सेत कैसे हो गये को काफी पसंद किया गया। वही हम रंग में हो वो जंग मे, हिंदू मुस्लिम संग हो को काफी तालियां मिली। पेटलावद हादसे पर उनकी रचना उनकी शहादत का मोल इतना सा हुआ, दस लाख देओं और सारा कर्जा चुक गया। को काफी दाद मिली। हास्य कवि श्याम सुंदर पलोड इंदोर की रचना लबों पर नशा तुम्हारे जो आंखों में गढ जाता है, कोरी किताब को हर कोई पढ जाता है। तथाव्यंग रचना आसाराम बापू ने रामपाल बाबा को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी एवं अपनी रंगीन मिजाजी पर कुछ तो लगाम कस, शिलाजित के सतलजा बडी उम्र के ऐ निर्लज्ज को पसंद किया गया । नालछा धार से पधारे हास्य व्यंग के सशक्त हस्ताक्षर धीरज शर्मा का हास्य गीत साजन म्हके एक साडी लाई दो, करवाई दो विको पीकू इसमे लगवाईदो तम फाल ने काफी गुदगुदाया। उनकी रचना बदंर सरपंच बन गया ,शेर बकरी के बच्चे को ले गया को काफी दाद मिली।डा
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