राजनीति की बिछने लगी बिसात ; कई नये चेहरे करेंगे दावेदारी

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झाबुआ जिले की राजनीतिक हलचल । 

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1)- डेढ़ साल शेष – उल्टी गिनती शुरु
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अगले विधानसभा चुनाव -2018 की आचार संहिता लगने मे महज डेढ़ साल शेष है राजनीति मे यह वक्त लंबा नहीं होता ..इसलिए अब धीरे धीरे हर विधानसभा मे टिकट के दावेदार सक्रिय होने लगे है । झाबुआ- पेटलावद मे बीजेपी ओर कांग्रेस के नये दावेदार उभर रहे है झाबुआ मे तो बताते है धनसिंह का नाम पैनल मे लाने की तैयारी है हालांकि शांतिलाल बिलवाल का टिकट सुरक्षित माना जा रहा है मगर खुद बिलवाल कई मंचों पर कह चुके है कि धनसिंह ने झाबुआ नगर मे विकास की गंगा – जमुना बहा दी है लिहाजा धनसिंह दावा तो करेंगे ही ।

2)- ऐसे चुकाया नेताजी ने बदला
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पेटलावद इलाके के एक बीजेपी के नेताजी है अक्सर राष्ट्रीय पव॔ पर उनके करीबीयो की नुगती बनाने का ठेका मिला करता था इस बार टेंडर नहीं हुआ तो नेताजी ने खाद्य विभाग को भेजकर नये टेंडर पाने वाले के घरेलू गैस सिलेंडर पकड़वा दिये ओर अब कह रहे है ” आगे पीछे हमारी सरकार यहां के हम है राजकुमार ” ।

3)- एक अनार – यहां सो बीमार
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एक अनार – सो बीमार कहावत झाबुआ जिले के ” राणापुर” नगर परिषद् की बीजेपी की राजनीति मे चरितार्थ होते दिखाई दे रही है यहां अगले 6 महीने बाद नगर परिषद् के चुनाव होना है ओर बीजेपी मे अध्यक्ष का टिकट पाने के 4 दावेदार अब तक सामने है तीन तो खुलकर आ गये है चोथा तेल देखो तेल की धार देखो वाली रणनीति पर है यहां दोलत भाजपा की ओर से गोविंद अजनार ; सेठिया भाजपा की ओर से दिलीप नलवाया दावा ठोंक रहे है तो थावरसिंह भूरिया भी शहर मे पैर रखकर जमावट मे जुटे है अब देखना है किसका सिक्का चलता है जो भी हो लेकिन कांग्रेस बीजेपी की इस हालत से काफी खुश बताई जाती है ।

4)- इस बार फिर ” कलावती भूरिया ” को लेकर कयास
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कलावती भूरिया झाबुआ ओर अलीराजपुर जिले मे एक समान लोकप्रिय है हालांकि विगत 15 साल से विधायक बनने का सपना उनके समथ॔को का पूरा नहीं हुआ है जिसकी वजह शायद खुद कलावती भूरिया की रणनीतिक चूक कह सकते है क्योंकि वे एक विधानसभा सीट से टिकट के लिए ही अडी रही । लेकिन इस बार कयास यह है कि अब कलावती का राम की तरह 14 वर्ष का विधानसभा जाने का वनवास खत्म होगा ? अगर हां तो वह सीट कोन सी होगी ? इंतजार करिए हमारे अगले कालमो मे हम इस सीट का खुलासा भी करेंगे ।

5)- शुरु हो सकता है ” विक्रांत युग ”
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राजनीति गलियारों मे एक चर्चा यह भी है कि क्या 2018 मे सांसद कांतिलाल भूरिया के पुत्र डा विक्रांत भूरिया राजनीति मे आयेंगे ? क्योंकि वे सरकारी नोकरी छोड़कर राजनीति मे आये थे शुरु मे वे अपरिपक्व लगे लेकिन तेजी से उन्होंने राजनीति को सीखा ओर लोकसभा उपचुनाव मे कुशल रणनीतिकार बनकर उभरे । यहां तक कि 10 जनपथ ने भी उनकी तारीफ की थी । अब देखना यह है कि यह पढा लिखा युवा नेता किस सीट से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरु करता है ।

6)- क्या डामोर का राजनीति मे होगा प्रवेश ?
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राजनीतिक गलियारों मे चर्चा है कि झाबुआ जिले या रतलाम संसदीय क्षैत्र की राजनीति मे एक नयी शख्सियत की जोरदार Entry हो सकती है यह शख्सियत है जी एस डामोर ..उमरकोट के मूल निवासी श्री डामोर वत॔मान मे मध्यप्रदेश लोक  स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के E.N.C है ओर बताते है कि आदिवासी ओर झाबुआ जिले के विकास को लेकर उनके पास एक शानदार विजन है ओर उन्होंने आदिवासी इलाकों मे मैदानी काम काफी किया है जिसके चलते उनका एक खामोश नेटवर्क बना हुआ है  अगर वे राजनीति मे आते है तो आकर अंगद की तरह पैठ जमाना कोई मुश्किल काम नहीं है । हालांकि इस बारे मे खुद अभी तक उन्होंने कोई संकेत नहीं दिया है ।

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